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    India Alert: ISI की साजिश, लश्कर को कमान... क्या है आतंकी सरगना हाफिज सईद का प्लान?

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 08:50 PM (IST)

    खुफिया एजेंसियों के अनुसार, पाकिस्तान की आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा पर फिर भरोसा जताया है। हाफिज सईद को भारत को घेरने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें नियंत्रण रेखा पर आतंकी लॉन्चिंग पैड मजबूत करना और बांग्लादेश में आतंकी गतिविधियों को देखना शामिल है। जैश-ए-मोहम्मद के कमजोर होने के कारण लश्कर को बढ़ावा दिया जा रहा है। मसूद अजहर के पुराने वीडियो कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के लिए प्रसारित किए जा रहे हैं।

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    ISI ने लश्कर को फिर कमान सौंपी। फोटो- रायटर्स

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2008 में मुंबई हमले को अंजाम देनेवाले आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा पर पाकिस्तान सेना और आईएसआई ने एक बार फिर भरोसा जताया है। भारत को दो तरफ से घेरने के लिए लश्कर चीफ हाफिज सईद को जिम्मेदारी दी गई है। उसे कहा गया है कि नियंत्रण रेखा पर आतंकी लॉन्चिंग पैड को मजबूत करने के साथ-साथ बांग्लादेश में आतंकी संगठनों की तैयारी को भी वह देखे।

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    इस सिलसिले में हाफिज सईद जल्द बांग्लादेश का दौरा भी कर सकता है। इसके साथ ही, उसे लश्कर की महिला विंग को भी फिर से तैयार करने को कहा गया है। खुफिया एजेंसियों ने लश्कर को बढ़ावा दिए जाने के पीछे एक अन्य आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के कमजोर होने की भी वजह माना है।

    एजेंसियों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर में जैश की कमर बुरी तरह टूट गई है। संगठन का सरगना मसूद अजहर खुद भी रावलपिंडी के किसी अस्पताल में भर्ती है। इसके चलते आईएसआई ने जैश को दरकिनार करना भी शुरू कर दिया है।

    पश्चिमी सेनाओं से मोर्चा लिया

    खुफिया सूत्रों के मुताबिक, हालत ये है कि संगठन के कार्यकर्ताओं का हौसला कायम रखने के लिए मसूद अजहर के पुराने वीडियो और ऑडियो क्लिप ये बताकर बार-बार सर्कुलेट किया जा रहा है कि ये मसूद के ताजातरीन संदेश हैं।

    इसके अलावा जैश काडर की पाकिस्तान इस्टैब्लिशमेंट से नाराजगी को भी एक वजह है। जैश के अफगान तालिबान और तहरीक ए तालिबान (टीटीपी) से अच्छे संबंध रहे हैं। जैश के आतंकियों ने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ मिलकर पश्चिमी सेनाओं से मोर्चा लिया था।

    जैश एक बार बगावत कर भी चुका

    वहीं, बदले परिदृश्य में पाकिस्तान और तालिबान में भयानक टकराव चल रहा है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान की सशस्त्र सैन्य कार्रवाई से भी जैश नेतृत्व में सकारात्मक संदेश नहीं गया है। अजहर चाहता था कि तालिबान और टीटीपी एकजुट रहें और भारत के खिलाफ युद्ध करें।

    पाकिस्तान की रणनीतिक चूक से उसे तालिबान और टीटीपी से एकसाथ जूझना पड़ रहा है। अगर पाकिस्तान ने जैश के साथ समीकरण जल्द न सुधारे तो ये संगठन बगावत भी कर सकता है। तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में जैश एक बार बगावत कर भी चुका है।

    लश्कर को इसलिए मिली थी मुंबई हमले की जिम्मेदारी

    खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, लश्कर ए तैयबा 2007 में अफगानिस्तान में तालिबान के साथ मिलकर पश्चिमी सेनाओं से मोर्चा लेना चाहता था, लेकिन पाक सेना और आईएसआई ने सोची समझी रणनीति के तहत उसे इससे दूर रखा। इसके चलते लश्कर को मुंबई हमले में उलझा दिया गया।

    इससे पहले 26/11 का हमला अल कायदा की 313 ब्रिगेड को करना था, जिसकी देखरेख इसका प्रमुख इलियास कश्मीरी कर रहा था। आईएसआई ने कश्मीरी से इस आपरेशन को लश्कर को सौंपने को कहा था।