लश्कर-ए-तैयबा के नापाक मंसूबे: अब बच्चों की भर्ती पर जोर, डॉक्टर-इंजीनियर या टीचर... कौन-सा कैडर मिलेगा?
26/11 मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर ए तैयबा अब संगठन में बड़े बदलाव कर रहा है। आतंकी संगठन तेज तर्रार युवाओं की भर्ती पर ध्यान दे रहा है। छोटे लड़ ...और पढ़ें
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लश्कर-ए-तैयबा में युवाओं और बच्चों की भर्ती पर जोर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आपरेशन सिंदूर में बुरी तरह पिटे 26/11 के मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर ए तैयबा ने मजबूत वापसी करने के मकसद से संगठन में बड़े बदलावों पर जोर दिया है। आतंकी संगठन तेज तर्रार युवा रंगरूटों की भर्ती पर फोकस कर रहा है। साथ ही छोटे लड़के-लड़कियों को संगठन से जोड़कर उन्हें बचपन से ही कट्टरपंथी बनाने की रणनीति तैयार की गई है।
जब से संगठन की कमान हाफिज सईद से हटकर उसके बेटे तलहा सईद के हाथों में आई है, तब से ही लश्कर की ब्रांडिंग पर पूरा जोर दिया जा रहा है। हाफिज सईद को तमाम गतिविधियों की जानकारी दी जाती है, लेकिन तलहा ही ज्यादातर फैसले ले रहा है।
लश्कर-ए-तैयबा में युवाओं और बच्चों की भर्ती पर जोर
भारतीय खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) के सूत्रों के मुताबिक तलहा संगठन को और ज्यादा मारक बनाने के लिए शिक्षित लोगों को ही संगठन में भर्ती करने पर जोर दे रहा है। खुफिया एजेंसियों को पता चला है कि तलहा परंपरागत मुजाहिदीनों की तुलना में सफेद कालर कैडर का आकार बड़ा रखने के पक्ष में है।
इस क्रम में डाक्टर, इंजीनियर और शिक्षकों को प्रमुखता दी जा रही है। इसके पीछे वजह ये है कि शिक्षित कैडर अपने साथ जानकारी और नए विचार लेकर आएगा। उसकी ये सोच इस्लामिक स्टेट और अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों से मेल खाती है। बचपन से कट्टरपंथी बनाने पर फोकस तलहा सईद छोटे बच्चों को संगठन से जोड़ने पर ज्यादा जोर दे रहा है।
संगठन में शिक्षित लोगों को भर्ती करने की रणनीति
तलहा का मानना है कि छोटी उम्र से लड़के और लड़कियों को कट्टरपंथी बनाना ज्यादा आसान होता है। बच्चों को शुरू के कुछ साल तक कुरान पढ़ाई जाएगी। उसके बाद उन्हें कट्टरपंथी बनाया जाएगा और हथियारों का प्रशिक्षण देकर आतंकी हमलों के लिए तैयार किया जाएगा। छोटी उम्र में संगठन में आनेवाले बच्चों की लगातार निगरानी की जाएगी। उनकी प्रतिभा के आधार पर उन्हें अलग-अलग कामों में लगाया जाएगा।
राजनीतिक विंग में भी शामिल किया जाएगा। तलहा की योजना है कि लश्कर के छात्र विंग भी बनाए जाएं, जिससे देश के विश्वविद्यालयों में घुसपैठ आसान होगी और बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी की तरह का संगठन पाकिस्तान में भी स्थापित किया जा सकेगा।
ऑनलाइन प्रशिक्षण और कट्टरपंथी विचारधारा पर फोकस
आनलाइन प्रशिक्षण पर ज्यादा जोर तलहा ने तमाम आतंकी कैंप स्थापित कराए हैं और उसका पूरा जोर आनलाइन प्रशिक्षण पर है। आपरेशन ¨सदूर के बाद से लश्कर ए तैयबा ने जानबूझकर खुले में कक्षाएं चलानी बंद कर दी हैं। संगठन भारतीय सशस्त्र बलों को अपनी गतिविधियों की जरा भी भनक नहीं लगने देना चाहता, इसलिए बड़े पैमाने पर आनलाइन माड्यूल की तरफ रुख किया गया है।
प्रोपेगैंडा के लिए इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल लश्कर के प्रचार-प्रसार के लिए इंटरनेट मीडिया की ताकत का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। तलहा प्रोपेगैंडा को बहुत अहम मानता है और इसलिए इंटरनेट मीडिया के व्यापक इस्तेमाल पर जोर दे रहा है।
वह चाहता है कि उसके संगठन में विचारधारा से प्रेरित लोग ही शामिल हों और पैसे या अन्य उद्देश्यों पर उनका जोर न हो। राजनीतिक संगठन भी मजबूत कर रहा लश्करमजबूत आतंकी समूह खड़ा करने की प्रक्रिया में तलहा ने राजनीति पर भी पूरा जोर दे रखा है।
इसके लिए लश्कर ए तैयबा के राजनीतिक संगठन पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग (पीएमएमएल) से जुड़े कैडर को मजबूत किया जा रहा है। तलहा का मजबूती से मानना है कि संगठन को राजनीतिक तौर पर भी मजबूत होना चाहिए और जनता में अपनी स्वीकार्यता होनी चाहिए।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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