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Lakhimpur Kheri Violence: सुप्रीम कोर्ट ने रद की आशीष मिश्रा की जमानत, एक हफ्ते में करना होगा सरेंडर

Ashish Mishra Bail Canceled लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के दौरान चार किसानों समेत आठ लोगों को एक जीप द्वारा कुचल दिया गया था और उसका मुख्य आरोप आशीष मिश्रा पर ही है। आदालत ने जमानत के खिलाफ याचिका पर फैसला सुनाने के बाद उन्हें सरेंडर करने को कहा है।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Mon, 18 Apr 2022 08:57 AM (IST)Updated: Mon, 18 Apr 2022 02:13 PM (IST)
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले का मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा । (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा उर्फ टेनी के बेटे और लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को आज बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत खारिज कर दी है। उनको एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करना होगा। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार अप्रैल को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दी थी, जिसको अब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष का ध्यान नहीं रखा। पीड़ित पक्ष की सुनी नहीं गई। कोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है।

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राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट का दिया धन्यवाद

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने पर किसान नेता राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद दिया है। टिकैत ने कहा कि कोर्ट ने महसूस किया कि यूपी सरकार ने तथ्य प्रस्तुत नहीं किए, इसलिए जमानत याचिका रद्द कर दी। हमें न्यायपालिका पर भरोसा है और उम्मीद है कि आने वाले समय में किसानों को न्याय मिलेगा। 

फिर से जमानत की अपील कर सकेंगे आशीष

हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद आशीष मिश्रा को एक राहत भी मिली है। अब वे फिर से जमानत की अपील कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार वह नए सिरे से जमानत के लिए इलाहाबाद कोर्ट में एक नई याचिका डाल सकते हैं।

कोर्ट ने चार अप्रैल को फैसला रख लिया था सुरक्षित

जमानत रद करने की याचिका पर फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सुनाया है। बता दें कि हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों द्वारा हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसले को चुनौती दी गई थी। वहीं जस्टिस रमणा की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला चार अप्रैल को ही सुरक्षित रख लिया था। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के फैसले पर भी आपत्ति जताई थी जिसमें आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देने के लिए प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 'अप्रासंगिक' जानकारी को आधार माना गया था।

यूपी सरकार ने भी किया था जमानत का विरोध

यूपी सरकार ने भी शीर्ष अदालत में आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का पुरजोर विरोध किया था। हालांकि योगी सरकार वकील ने यह भी कहा था कि मामले से जुड़े गवाहों को व्यापक सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्होंने कहा था कि आरोपी से गवाहों को हानि हो सकती है, ऐसा कहना गलत है, क्योंकि उन्होंने सभी की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।

मृतकों के परिवार ने की थी अपील

बता दें कि मामले में हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों ने उच्च न्यायालय के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि यह फैसला कानून की नजर में सही नहीं है, क्योंकि सरकार द्वारा कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं की गई है। हालांकि, इससे पहले अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने आशीष मिश्रा की जमानत रद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था।

यह है पूरा मामला

बता दें कि ये मामला बीते साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे के दौरान हुई हिंसा का है। केशव प्रसाद के दौरे का कुछ किसान विरोध कर रहे थे जिसपर तेज स्पीड में एक एसयूवी कार चढ़ा दी गई थी और किसानों को कुचल दिया गया था। हिंसा के बाद गुस्साए किसानों ने एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। आरोप है कि आशीष मिश्रा इस गाड़ी में सवार थे और उन्होंने ही ये साजिश के तहत किया था।


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