'पत्नी को कितनी देर तक निहारोगे' L&T के चेयरमैन ने दी हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह; सोशल मीडिया पर मचा बवाल
लार्सन एंड टुब्रो (Larsen Toubro) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने कहा कि प्रतिस्पर्धी रहने के लिए कर्मचारियों को हफ्ते में रविवार सहित 90 घंटे काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो मुझे खेद है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपको रविवार को काम करवा पाऊं तो मुझे ज्यादा खुशी होगी क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं।”

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कुछ दिनों पहले इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। नारायण मूर्ति की इस बात देश में खूब चर्चा हुई। इसी बीच लार्सन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया है। अब एसएन सुब्रमण्यन ने कहा है कि प्रतिस्पर्धी रहने के लिए कर्मचारियों को हफ्ते में रविवार सहित 90 घंटे काम करना चाहिए।
कर्मचारियों के नाम पर एक वीडियो संदेश में सुब्रमण्यन ने सुझाव दिया कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए। वीडियो में जब उनसे पूछा गया कि एलएंडटी अपने कर्मचारियों से शनिवार को काम क्यों करवाता है।
सुब्रमण्यम ने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो मुझे खेद है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपको रविवार को काम करवा पाऊं तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं।”
आप पत्नी को कितने घंटे तक निहार सकते हैं: एसएन सुब्रह्मण्यम
उन्होंने आगे लिखा,"घर पर छुट्टी लेने से कर्मचारियों को क्या फायदा होता है। आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं? पत्नियां अपने पतियों को कितनी देर तक निहार सकती हैं? ऑफिस जाओ और काम करना शुरू करो।
एलएंडटी चीफ ने एक चीनी शख्स से हुई उनकी बातचीत लोगों से शेयर किया। सुब्रह्मण्यन ने आगे चीनी व्यक्ति ने कहा, “चीनी लोग हफ्ते में 90 घंटे काम करते हैं, जबकि अमेरिकी हफ्ते में केवल 50 घंटे काम करते हैं।”
यूजर्स ने दी दिलचस्प प्रतिक्रिया
एलएंडटी चीफ के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। एक यूजर ने लिखा, मैं एलएंडटी में काम करता हूं और आप सोच सकते हैं कि हमें किस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा कि सीईओ, जिन्हें बहुत ज्यादा वेतन मिलता है और जिन पर अलग-अलग तरह के काम के दबाव होते हैं, वे कम वेतन वाले कर्मचारियों से समान स्तर की प्रतिबद्धता की उम्मीद क्यों करते हैं। कंपनियां अलग-अलग तरह के कार्य घंटे क्यों नहीं देतीं?
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