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Inside Story: चीन के कर्ज के झांसे में फंसा किर्गिस्तान, रिकार्ड स्‍तर पर पहुंचा विदेशी कर्ज का आंकड़ा

श्रीलंका और दूसरे देशों समेत किर्गिस्तान भी चीन के कर्ज तले दब गया है। उसके ऊपर 9 अरब डालर से अधिक का विदेशी कर्ज है जिसमें से 5 अरब डालर से अधिक का कर्ज केवल चीन का ही है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 03:44 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 03:54 PM (IST)
Inside Story: चीन के कर्ज के झांसे में फंसा किर्गिस्तान, रिकार्ड स्‍तर पर पहुंचा विदेशी कर्ज का आंकड़ा
चीन के सस्‍ते कर्ज और विकास के झांसे में आया किर्गिस्तान

नई दिल्‍ली (कमल कान्‍त वर्मा)। चीन के विकास के झांसे में आकर उसके कर्ज के तले दब रहे देशों की सूची में अब किर्गिस्तान का नाम भी शामिल हो गया है। चीन ने बेल्‍ट रोड इनिशिएट या बीआरआई के नाम पर किर्गिस्‍तान को अपने झांसे में फंसा लिया है। इसके चलते किर्गिस्तान पर 9.1 अरब डालर का कर्ज है। किर्गिस्तान पर विदेशी कर्ज का ये रिकार्ड स्‍तर है। इसमें चीन का सबसे बड़ा रोल है। इस पूरे कर्ज में 42 फीसद का कर्ज केवल चीन का है। चीन का किर्गिस्तान पर करीब 5.1 अरब डालर का कर्ज है।

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किर्गिस्तान को सताने लगी चिंता

किर्गिस्तान की सरकार अब इस पर चिंता जताने लगी है। वर्ल्‍ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि किर्गिस्तान पर उसका भी 4 अरब डालर का कर्ज है। आपको बता दें कि चीन ने अपने कर्ज के जाल में फंसाकर श्रीलंका को दीवालिया बना दिया है। पाकिस्‍तान भी श्रीलंका की राह पर आगे बढ़ रहा है। पाकिस्‍तान के राजनेता से लेकर आर्थिक जानकार भी इस बात को कई बार कह चुके हैं। बांग्‍लादेश पर भी चीन का काफी कर्ज है। नेपाल भी चीन के कर्ज तले दबा हुआ है।

चीन की कर्ज नीति से हाल बेहाल

पिछले सप्‍ताह ही किर्गिस्‍तान के कैबिनेट मंत्री Akylbek Japarov ने पार्लियामेंट में कहा था कि हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हमें कर्ज उतारना है। शी चिनफिंग के राज में चीन ने अपनी कर्ज की नीति से कई देशों का हाल बेहाल किया है। किर्गिस्‍तान को भी चीन के एक्‍सपोर्ट इंपोर्ट बैंक से अरबों का कर्ज मिला है। किर्गिस्‍तान को अब लगने लगा है कि चीन की जिस नीति को पहले वो अपने लिए फायदे का सौदा समझ रहा था वो अब उसके नुकसान का सबब बन रही है।

कर्ज चुका पाएगा या नहीं

किर्गिस्‍तान को अब इस बात की चिंता सताए जाने लगी है कि वो इस कर्ज की अदायगी कर भी पाएगा या नहीं। रेडियो फ्री यूरोप के मुताबिक, चीन से मिले कर्ज को न चुकाने के ऐवज में किर्गिस्‍तान को अपने संसाधनों को गिरवी रखने तक का डर अब सताने लगा है। यही वजह है कि उसकी चिंता बढ़ गई है। जैपरोव ने साफतौर पर कहा है कि पाकिस्‍तान और श्रीलंका के मामलों में उन्‍होंने देखा है कि कर्ज न चुका पाने की सूरत में किस तरह से उनके संसाधनों पर चीन का कब्‍जा हो गया है।

भगवान भरोसे नहीं रह सकता किर्गिस्‍तान

उन्‍होंने यहां तक कहा है कि हम इसको चुकाने के लिए केवल भगवान के आसरे बैठकर नहीं रह सकते हैं। इसके लिए हम सभी को एकजुट होकर काम करना होगा और अपनी आजादी को बचाना होगा। जानकारों का कहना है कि चीन के कर्ज को लेकर किर्गिस्‍तान की चिंता बेवजह नहीं है। चीन की नजरें उनके संसाधनों पर लगी है और उन्‍हें इसका रेड सिग्‍नल भी दिखाई दे रहा है।

2013 में हुई थी बीआरआई की शुरुआत

बता दें कि चीन ने अपने बीआरआई प्रोजेक्‍ट की शुरुआत 2013 में की थी। इस प्रोजेक्‍ट में चीन का बड़ा निवेश है। भारत को भी उसने इस प्रोजेक्‍ट में शामिल होने का झांसा दिया था, लेकिन भारत ने उसके प्रपोजल का ठुकरा दिया था। चीन के ग्रीन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट सेंटर के मुताबिक, बीआरआई के तहत चीन ने अब तक 932 अरब डालर का कर्ज विभिन्‍न देशों को दिया है। वर्ल्‍ड बैंक भी चीन की नीतियों के प्रति देशों को आगाह करता रहा है। अब इन सभी देशों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।  

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