कोलकाता पुलिस से नहीं बच पाएंगे साइबर अपराधी, मिटाए गए डेटा को ढूंढ निकालेगा डिजिटल सॉफ्टवेयर
कोलकाता पुलिस साइबर अपराध से निपटने के लिए अत्याधुनिक डिजिटल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करेगी। यह सॉफ्टवेयर मिटाए गए डेटा को ढूंढकर रिकवर करने में सक्षम है, जिससे अपराधियों को पकड़ना आसान हो जाएगा। इस कदम से साइबर अपराधों पर नियंत्रण पाने और अपराधियों पर नकेल कसने में मदद मिलेगी।

कोलकाता पुलिस से नहीं बच पाएंगे साइबर अपराधी। (प्रतीकात्मक)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : साइबर अपराधियों के लिए अब अपने मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटाप से डाटा मिटाकर अथवा छिपाकर पुलिस से बच निकलना नामुमकिन होगा।
कोलकाता पुलिस साइबर अपराध से निपटने के लिए अत्याधुनिक डिजिटल साफ्टवेयर 'आक्सीजन फोरेंसिक डिटेक्टिव' का इस्तेमाल करने जा रही है। यह मिटाए गए डाटा को ढूंढ़ निकालने में सक्षम है। यह साफ्टवेयर 31,000 से अधिक मोबाइल फोन और लैपटाप से 50,000 एप्स, इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म और 100 से अधिक क्लाउड सर्विस से डाटा निकाल सकता है। यहां तक कि यह किसी डिवाइस में छिपे या एंक्रिप्टेड मैलवेयर को भी पहचान सकता है।
पुलिस मुख्यालय लालबाजार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस जितनी तेजी से जांच करती है, साइबर अपराधी उतनी ही तेजी से खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। इसीलिए मिटाया गया अथवा छिपा हुआ डाटा निकालने और अपराधियों के सभी संभावित कदम को रोकने में यह साफ्टवेयर काफी कारगर साबित होगा।
अधिकारी के अनुसार कोलकाता पुलिस साइबर अपराध से निपटने के उद्देश्य से 18 नए अत्याधुनिक तकनीकी उपकरण और एक और उन्नत डाटा रिकवरी सिस्टम भी खरीदा जा रहा है, जो मोबाइल और लैपटाप से डिलीट किए गए फाइल, चैट, वीडियो और फोटो को भी पुन: प्राप्त कर सकेगा। साइबर जांच को और मजबूत करने के लिए पुलिस मुख्यालय 10 उच्च रिजाल्यूशन वाले स्टील कैमरे खरीद रहा है।
साइबर अपराधियों का पता लगाने और डिजिटल साक्ष्य जुटाने के लिए डिजिटल फोरेंसिक वर्कस्टेशन और दो विशेष फोरेंसिक लैपटाप खरीदे जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि इन सभी अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से साइबर अपराधियों के लिए अब कोई भी डिजिटल सुबूत मिटाना या छिपाना लगभग असंभव हो जाएगा।

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