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    कोलकाता में हर शाम जेल के बाहर सजता है महिला कैदियों का स्टाल, हवा में घुलती है चाट-पकौड़ियों की खुशबू 

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 11:55 PM (IST)

    कोलकाता के अलीपुर महिला सुधार गृह में कैदियों द्वारा बनाए गए पकवानों की खुशबू हर शाम फैलती है। 'अभिन्नो' नामक पहल के तहत, कैदी जेल के बाहर स्टाल लगाकर भोजन और हस्तशिल्प बेचती हैं। इससे उन्हें आजीविका कमाने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस परियोजना को मंजूरी दी और इसका नामकरण किया, जिससे यह बंगाल की अन्य जेलों के लिए एक आदर्श बन गया है।

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    कोलकाता में हर शाम जेल के बाहर सजता है महिला कैदियों का स्टाल

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। हर शाम कोलकाता के अलीपुर महिला सुधार गृह की ऊंची दीवारों के बाहर आलू के पकौड़ों और कटलेट की खुशबू हवा में घुलती है। राहगीर नाश्ते के लिए बीच राह में रुकते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का इल्म नहीं होता कि इन चीजों को बनाने और पैक करने वाली महिलाएं सजायाफ्ता कैदी हैं।

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    इन महिला कैदियों के लिए जेल के गेट के ठीक बाहर एक छोटी सी दुकान कारावास और समाज के बीच सेतु की तरह काम करती है। यह उन्हें आत्मावलोकन करने, बाहरी दुनिया से जुड़ने और अकेलेपन में अक्सर खोई हुई गरिमा को पुन: प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। दरअसल वे पश्चिम बंगाल सुधार सेवा विभाग द्वारा जुलाई में शुरू की गई एक अभिनव पहल 'अभिन्नो' (एकीकृत) का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य कैदियों को जेल में रहते हुए आजीविका कमाने और आत्मविश्वास हासिल करने में मदद करना है।

    कार्यक्रम के तहत कैदी सुधार गृह के प्रवेश द्वार के बाहर स्थित स्टालों पर सीधे जनता के लिए भोजन, हस्तशिल्प और अन्य सामान तैयार करते और बेचते हैं, जिसे अधिकारी सम्मान के साथ पुनर्वास कहते हैं। बंगाल के सुधार सेवा मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने कहा कि 'अभिन्नो' जेल सुधार में एक नया मानक स्थापित कर रहा है। कैदियों द्वारा बनाए गए उत्पाद जेल परिसर के बाहर इन दुकानों के माध्यम से बेचे जाते हैं।

    गैर-सरकारी संगठन कैदियों को करता है प्रशिक्षित

    एक गैर-सरकारी संगठन उन्हें प्रशिक्षित करता है और इससे होने वाली कमाई कैदियों के कल्याण कोष में जाती है। कैदियों को वेतन भी मिलता है, जो रिहाई के बाद उन्हें सौंप दिया जाता है। अलीपुर महिला सुधार गृह में एक साधारण प्रयोग के रूप में शुरू हुआ यह कार्यक्रम जल्द ही बंगाल की जेलों में आदर्श बन गया है। अलीपुर में लगभग 25 कैदी इस पहल का हिस्सा हैं, जिनमें से आठ रोजाना दुकान चलाती हैं।

    मुख्यमंत्री ने परियोजना को दी थी मंजूरी

    प्रेसिडेंसी रेंज के डीआइजी (कारागार) देबाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता को भेजे गए इस प्रस्ताव को तुरंत मंजूरी मिल गई। उन्होंने इसे केवल मंजूर ही नहीं किया, बल्कि खुद इसका नाम 'अभिन्नो' भी रखा। बनर्जी ने जुलाई में परियोजना का डिजिटल तौर पर इस साल उद्घाटन किया था।