Beast Of Bangalore: इंसान की शक्ल में शैतान, एक साइको किलर जो कत्ल के बाद रख लेता था महिलाओं के अंडरगारमेंट्स
Beast Of Bangalore एक ऐसा ही समाज का शैतान जिसके कुकर्म आज भी कुख्यात हैं। वह है बीस्ट ऑफ बैंगलोर। जी हां इस हैवान की हैवानियत ने 90 के दशक में औरतों को डर के घेरे में खड़ा कर दिया।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जिसके भीतर प्रेम, क्रोध, सुख, दुख-दर्द, खुशी, घृणा, दया आदि तमाम भाव होते हैं। हर मनुष्य अपने जीवन में का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में समाज से संबंध स्थापित हो करता है। समाज का उत्थान या पतन उसमें रहने वाले मनुष्यों की प्रवृत्ति पर ही निर्भर करता है। कौन क्या करता है उसका लेखा-जोखा यहीं होता है। समाज में रहने वाले व्यक्तियों का चरित्र एवं व्यक्तित्व अच्छा हो तो लोग सदियों तक उसकी तारीफ करते नहीं थकते। वहीं यदि कोई व्यक्ति कुकर्म करता है तो लोगों के मन में उसके लिए गुस्सा और हीन भावना रहती है।
90 के दशक का शैतान
एक ऐसा ही समाज का शैतान, जिसके कुकर्म आज भी कुख्यात हैं। वह है बैंगलोर हैवान। जी हां इस हैवान की हैवानियत ने 90 के दशक में औरतों को डर के घेरे में खड़ा कर दिया। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इंडियन प्रीडेटर सीरीज अपनी चौथी और नवीनतम किस्त 'बीस्ट ऑफ बैंगलोर' लेकर आई है। यह एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी है। यह विशेष मामला एक खतरनाक सीरियल दुष्कर्मी का है, जो महिलाओं को अपना शिकार बनता था। उसका आतंक ऐसा फैला हुआ था कि लोगों के बीच उसका खौफ बन गया था, महिलाएं असुरक्षित महसूस करने लगी थीं।
1996 से शुरू हुआ अपराध का तांडव
इस अपराध की कहानी की शुरुआत 1996 हुई थी, जब 'बैंगलोर का दरिंदा' उमेश रेड्डी की हैवानियत का डर छाया हुआ था। कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले का रहने वाला उमेश अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के लिए एक सैनिक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी, उसकी पहली पोस्टिंग जम्मू और कश्मीर हुई थी। महिलाओं का दुष्कर्म और उनके साथ हिंसा करने की उसकी शुरुआती प्रवृत्ति तबसे विकसित हुई, जब उसे एक कमांडेंट के घर की रखवाली करने का काम मिला। उसी दौरान उसके अंदर के हैवान का जन्म हुआ और उसने कमांडेंट की बेटी से दुष्कर्म करने का प्रयास किया।
इसके बाद रेड्डी वहां से किसी तरह भागकर चित्रदुर्ग आ गया। यहां आकर उसने डीएआर (जिला सशस्त्र रिजर्व) पुलिस की नौकरी शुरू कर दी। उसके बैकग्राउंड की पहचान किए बगैर उसे नौकरी दे दी गई, क्योंकि डीएआर स्पष्ट रूप से सीआरपीएफ में रेड्डी के कार्यकाल से अवगत नहीं था। यहां से शुरुआत हुई उसकी हैवानियत की। रेड्डी ने अपने गृह राज्य, कर्नाटक में कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म किए। उसने विशेष रूप से उन महिलाओं को अपना शिकार बनाया, जो अविवाहित या विधवा थीं। दुष्कर्म करने के बाद वह महिलाओं के (अंडरगारमेंट्स) और आभूषणों को लेकर फरार हो जाता था।
18 महिलाओं की हत्या और दुष्कर्म
इंसान की शक्ल में शैतान रेड्डी ने कुल 18 महिलाओं की हत्या और दुष्कर्म करने की बात कबूल की है। लेकिन अपराध शोधकर्ताओं को लगता है कि कई मामलों की अधिकारिक जानकारी ना होने के कारण यह संख्या अधिक हो सकती है। इसी कड़ी में चित्रदुर्ग का भी एक मामला है, जिसमें रेड्डी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हुआ था। एक हाईस्कूल की लड़की पर हमला करने का प्रयास करते हुए रेड्डी को लड़की ने एक पत्थर से मारा और पीड़ित भागने में सफल रही। हालांकि, उसने 16 साल की एक और नाबालिक लड़की को ठीक एक महीने बाद अपना शिकार बनाया और उसे मारने में कामयाब रहा।
कब और कैसे पुलिस की गिरफ्त में आया उमेश रेड्डी
जनवरी 1997 की एक गणतंत्र दिवस परेड चल रही थी, जब अप्रत्याशित रूप से उमेश रेड्डी की शिकार हुई एक लड़की उसकी पहचान करने में कामयाब रही, जिसके बाद डीएआर ने उसे सेवा से निलंबित कर दिया और इसके तुरंत बाद उसे गिरफ्तार कर किया गया। लेकिन रेड्डी ठीक उसी समय पुलिस को चकमा देते हुए हिरासत से भाग निकला। भागने के बाद, रेड्डी ने बैंगलोर में एक आयकर अधिकारी की पत्नी और एक विधवा सहित कई और महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया और उनकी हत्या कर दी।
महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराने का बना रखा था पैटर्न
रेड्डी दिमागी रूप से एक अस्थिर व्यक्ति था, जो महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराने का एक पैटर्न बना रखा था। वह सिर्फ दुष्कर्म की महिलाओं के ही नहीं, बल्कि घरों के बाहर लटके हुए महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुरा लेता था। जब जुलाई 1997 में पीन्या (बैंगलोर में एक औद्योगिक क्षेत्र) पुलिस ने आखिरकार उसे पकड़ा, तो पुलिस ने उसके कमरे से इस्तेमाल किए गए महिलाओं अंडरगारमेंट्स से भरा एक बोरी बरामद की।
उमेश रेड्डी को क्या सजा मिली?
आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि इस हैवान को आखिर क्या सजा मिली होगी? उसके साथ क्या किया गया होगा। यह सोचना आसान है कि रेड्डी को उसके किए सभी जघन्य अपराधों के लिए या तो मौत या आजीवन कारावास की सजा दी गई होगी। लेकिन इस दोषी को केवल 30 साल की सजा काटने को मिली। दुष्कर्म और हत्या के 18 दर्ज मामलों में से, उसे केवल 9 मामलों में दोषी पाया जा सका, शेष 9 मामले सबूतों के अभाव में खारिज कर दिए गए। 2006 में, बैंगलोर में एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा दी गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाद में दया याचिका दायर करने के बाद 2022 में उसकी मौत की सजा को 30 साल की जेल की सजा सुनाई। आज तक, रेड्डी बेलगावी जेल में बंद हैं।

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