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    जानें क्या है स्टैफिलोकॉकस ऑरियस, एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में कैसे उपयोगी होगा प्रोटीन

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Sat, 30 Nov 2019 09:51 AM (IST)

    स्टैफिलोकॉकस ऑरियस बैक्टीरिया में वैज्ञानिकों ने खोजा प्रोटीन विशेष अणुओं की मदद से हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में है कारगर।

    जानें क्या है स्टैफिलोकॉकस ऑरियस, एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में कैसे उपयोगी होगा प्रोटीन

    नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। दवाओं के प्रति बैक्टीरिया में बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए नई दवाओं का विकास चिकित्सा क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों में से एक है। नई एंटीबायोटिक दवाओं का निर्माण आमतौर पर पादप अर्क और फफूंद जैसे प्राकृतिक उत्पादों या फिर केमिकल लाइब्रेरी में संग्रहित रसायनों की शृंखला पर आधारित होता है। लेकिन, एंटीबायोटिक दवाओं की खोज से जुड़े शोध कार्यों में ऐसी प्रक्रियाओं का महत्व कई बार बढ़ जाता है, जिन पर अपेक्षाकृत रूप से कम खोजबीन की गई हो। इसलिए नए एंटीबायोटिक एजेंट के रूप में ‘क्विनोनएपोक्साइड’ का विकास महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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    भारतीय वैज्ञानिकों ने स्टैफिलोकॉकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता रखने वाले रूपों में ऐसे प्रोटीन की पहचान की है, जिसे आणविक स्तर पर लक्ष्य बनाकर इस बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खोज के आधार पर नई एंटीबायोटिक दवाएं विकसित करने में मदद मिल सकती है।

    शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के दौरान एक अणु भी विकसित किया है जो बैक्टीरिया में पहचाने गए मार-आर प्रोटीन को लक्ष्य बनाकर उस बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है। यह अणु इंडोल आधारित क्विनोन एपोक्साइड है, जो सक्रिय जीवाणुरोधी एजेंट की तरह काम करता है। क्विनोन एपोक्साइड बैक्टीरिया की कोशिकाओं को भेदकर और उसमें मार-आर प्रोटीन की कार्यप्रणाली को बाधित करके उसे मार देता है। सीएसआइआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ), लखनऊ और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइआइएसईआर), पुणे के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया यह अध्ययन शोध पत्रिका जर्नल ऑफ मेडिसिनल केमिस्ट्री में प्रकाशित किया गया है।

    अध्ययन में शामिल आइआइएसईआर, पुणे के शोधकर्ता डॉ. हरिनाथ चक्रपाणि ने बताया कि स्टैफिलोकॉकस ऑरियस बैक्टीरिया में पहचाने गए इस प्रोटीन को बैक्टीरिया-रोधी एजेंट्स के जरिये लक्ष्य बनाया जा सकता है, जिससे कई गंभीर संक्रमणों से लड़ने में मदद मिल सकती है। इसे अत्यधिक दवा प्रतिरोधी वीआरएसए बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी पाया गया है।

    क्या है स्टैफिलोकॉकस ऑरियस

    स्टैफिलोकॉकस ऑरियस संक्रमण पैदा करने वाला बैक्टीरिया है, जो दवाओं के लिए आसानी से प्रतिरोधी के रूप में उभर सकता है और उपचार के विकल्पों को सीमित कर सकता है। इसमें पाया जाने वाला मार-आर प्रोटीन इस बैक्टीरिया की वृद्धि और उसके जीवित रहने के लिए एक जरूरी तत्व है। लेकिन, बैक्टीरिया में इस प्रोटीन की कार्यप्रणाली बाधित होने पर वह जीवित नहीं रह पाता है। इस अध्ययन में आइआइएसईआर, पुणे में इंडोल आधारित क्विनोन एपोक्साइड यौगिकों का संश्लेषण किया गया है। जबकि, सीएसआइआरसीडीआरआइ, में संक्रमण पैदा करने वाले विभिन्न बैक्टीरिया पर इन यौगिकों का परीक्षण किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टैफिलोकॉकस ऑरियस बैक्टीरिया को मारने के लिए मार-आर परिवार के प्रोटीन को लक्ष्य बनाया जाना कारगर हो सकता है, सिर्फ इस बात का पता लगाने के लिए शोध में सैकड़ों संभावित प्रोटीन लक्ष्यों का परीक्षण किया गया है।

    सहजीवी बैक्टीरिया

    शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टैफिलोकॉकस ऑरियस मनुष्य के शरीर में पाया जाने वाला एक सहजीवी बैक्टीरिया है। यह बैक्टीरिया प्राय: त्वचा और शरीर के भीतर श्लेष्मा झिल्लियों में पाया जाता है। पर, रक्त प्रवाह या फिर भीतरी ऊतकों में यह बैक्टीरिया प्रवेश कर जाए तो निमोनिया, हृदय वॉल्व और हड्डियों जैसे गंभीर संक्रमण हो सकते हैं।