1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी, नैट विमानों ने मार गिराए थे एफ-86 लड़ाकू विमान
भारतीय सेना ने इस युद्ध में पाकिस्तानी फौज को करारी शिकस्त दी और गुलाम कश्मीर के कुछ हिस्से समेत पाकिस्तान के 720 वर्ग मील क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। तत्कालीन रक्षा मंत्री वाईबी चव्हाण ने 22 दिन चले इस युद्ध का विवरण अपनी डायरी में दर्ज किया था।
[अरुण सिंह] चीन से युद्ध में मिली पराजय के सदमे से अभी भारतीय सेना पूरी तरह उबरी भी नहीं थी कि उसे सितंबर, 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध लडना पड़ा। भारतीय सेना ने इस युद्ध में पाकिस्तानी फौज को करारी शिकस्त दी और गुलाम कश्मीर के कुछ हिस्से समेत पाकिस्तान के 720 वर्ग मील क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। तत्कालीन रक्षा मंत्री वाईबी चव्हाण ने 22 दिन चले इस युद्ध का विवरण अपनी डायरी में दर्ज किया था। उनकी इसी दैनिक डायरी पर आधारित पुस्तक है '1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी।
चव्हाण ने जब रक्षा मंत्री का पद संभाला, उनके सामने भारतीय सैन्य बलों, खासकर सैन्य नेतृत्व को गिरी हुई मनोदशा से उबारने की चुनौती थी। उन्होंने इस काम को बखूबी अंजाम दिया। इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक व सैन्य नेतृत्व के बीच फिर से विश्वास और भरोसे के रिश्ते को कायम किया, क्योंकि उनके पूर्ववर्ती कृष्ण मेनन ने अपने व्यवहार और काम करने के तरीके से दोनों के बीच दरार डाल दी थी। इस पुस्तक में भारतीय सेना के शौर्य का उल्लेख किया गया है। साथ ही बड़ी साफगोई से युद्ध के दौरान कुछ सैन्य कमांडरों द्वारा की गई रणनीतिक गलतियों का भी जिक्र किया गया है। यह युद्ध कई मामलों में अन्य युद्धों से अलग था। इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने भी अहम भूमिका निभाई थी।
पाकिस्तान की वायुसेना एफ-104 स्टार फाइटर, एफ-86 सैबर जैट और बी-57 बमवर्षक विमानों से लैस थी, लेकिन एयर मार्शल अर्जन सिंह की अगुआई वाली भारतीय वायुसेना के जांबाज पायलटों ने अपने छोटे नैट विमानों से पाकिस्तान के कई एफ-86 लड़ाकू विमानों को मार गिराया। उन्होंने अपने हमलों से दुश्मन की जमीनी सेना को भी करारे झटके दिए थे। कई सैन्य अधिकारियों की आत्मकथाओं में इस युद्ध का जिक्र है, लेकिन यह पुस्तक एक राजनेता के जरिये इस युद्ध पर नई रोशनी डालती है और बताती है कि यह युद्ध क्यों जरूरी था और इससे देश को क्या हासिल हुआ।
पुस्तक : 1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी
लेखक : आरडी प्रधान
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन
मूल्य : 400 रुपये