Jagran Trending | What is World Environment Day | सरल शब्दों में जानिए पर्यावरण दिवस क्या है? धरती के अस्तित्व के लिए क्यों है जरूरी
What is World Environment Day दुनियाभर में पर्यावरण जागरूक के बहुत सारे कार्यक्रम किए गए लेकिन क्या हम समझ पाए कि यह दिवस हमारे लिए क्यों जरूरी है। पर्यावरण दिवस की पहली कड़ी में यह बताएंगे कि पर्यावरण क्या है। यह पर्यावरण मानव के अस्तित्व के लिए क्यों जरूरी है।

नई दिल्ली, रमेश मिश्र। What is World Environment Day: 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की तारीख है। पूरी दुनिया में पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन को चुना गया था। 5 जून चला गया। इस मौके पर कई प्रकृति और पर्यावरण संबंधी कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें वृक्षारोपण, साफ सफाई और जागरूकता अभियान का भी आयोजन किया गया। दुनियाभर में पर्यावरण जागरूकता के बहुत सारे कार्यक्रम किए गए, लेकिन क्या हम समझ पाए कि यह दिवस हमारे लिए क्यों जरूरी है? आज पर्यावरण दिवस की पहली कड़ी में हम यह बताएंगे कि पर्यावरण क्या है? यह पर्यावरण मानव के अस्तित्व के लिए क्यों जरूरी है? आखिर इन सब मामलों में पर्यावरणविदों की क्या राय है।
1- ग्रीनमैन नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद विजयपाल बघेल का कहना है कि पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के साथ तालमेल बनाए रखना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें पेड़ पौधों जीव-जंतुओं और प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना और उनका संरक्षण करना चाहिए ताकि पृथ्वी की आयु मे बढोतरी की जा सके। मानव क्रियाकलापों के कारण आज धरती का वातावरण लगातार दूषित होता जा रहा है और इसका पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
2- उन्होंने कहा कि भूमि, जल, वायु पेड़ पौधे एवं जीव जंतु मिलकर प्राकृतिक पर्यावरण का निर्माण करते हैं। पर्यावरण हमारे जीवन का मूल आधार है। यह हमें सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए जल खाने के लिए भोजन एवं रहने के लिए भूमि प्रदान करता है। आखिर मानव इस प्राकृतिक पर्यावरण में कैसे परिवर्तन करता है। कार का धुआं वायु को प्रदूषित करता है। प्राकृतिक पर्यावरण में पृथ्वी पर पाई जाने वाली जैवीय एवं अजैवीय दोनों परिस्थितियां सम्मिलित हैं। इसलिए यह जरूरी है कि दोनों में एक प्राकृति संबंध स्थापति हो सके। दोनों एक दूसरे के पूरक बन सकें। दोनों का असंतुलन ही धरती के लिए खतरा है।
3- पर्यावरणविद बघेल का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर वर्ष करीब 70 लाख लोग प्रदूषण से मारे जाते हैं। हवा में मौजूद प्रदूषण के महीन कण सांस लेने के दौरान फेफड़ों में जाकर इसे बुरी तरह प्रभावित करते हैं और इससे दमा और सांस लेने में दिक्कत जैसी बीमारियां उत्पन्न होती है। दुनिया भर में मनुष्य कार्यकलापों के कारण बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण की क्षति को रोकने के उद्देश्य से ही 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी है।
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। यह पर्यावरण के बारे में जागरूकता फैलाने पर समर्पित सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय दिवस है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1972 में की गई थी। इसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के नेतृत्व में वर्ष 1974 से ही आयोजित किया जा रहा है। पर्यावरण दिवस की नींव उस समय रखी गई जब पहली बार स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम में एक पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें भारत समेत दुनिया भर के लगभग 119 देशों ने हिस्सा लिया था। हालांकि पहला विश्व पर्यावरण दिवस इसके दो साल बाद 5 जून 1974 को मनाया गया था। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की वैश्विक मेजबानी स्वीडन ने किया है। पिछली साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के साथ साझेदारी में पाकिस्तान ने होस्ट किया था। विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी जर्मनी के साथ साझेदारी में कोलंबिया ने की थी, तो वहीं 2019 का मेजबान चीन था और 2018 में 45वें पर्यावरण दिवस को होस्ट करने वाला देश भारत था।
पहले विश्व पर्यावरण दिवस में पहली विदेशी पीएम इंदिरा ने किया नेतृत्व
भारत में पर्यावरण दिवस की शुरुआत से ही इसे मनाया जाता रहा है। 1972 में जब स्टाकहोम में पर्यावरण को लेकर सम्मेलन हुआ तो भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ही एकमात्र ऐसी विदेशी प्रधानमंत्री थी, जिन्होंने इस सम्मेलन में भाग लिया और पर्यावरण के कई गंभीर मुद्दों पर अपनी राय रखी थी। पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने प्रिवेंशन एंड कंट्रोल पाल्यूशन एक्ट 1974 भी पास किया। वे प्रदूषण के मुद्दे पर इतनी सजग और कठोर थी कि उन्होंने 1980 में पर्यावरण विभाग की स्थापना कर डाली। इसके आलावा उन्होंनें पर्यावरण संरक्षण के सबसे बड़े आंदोलन चिपको को भी अपना पूरा सहयोग दिया। इसके बाद भारत में 19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण को लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कानून भी लागू किया गया।
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