जानें आज़ादी के बाद कितने लोगों को दी गई फांसी, भारत में मौत की सजा पर एक नज़र
निर्भया के चारों दोषियों को मिलाकर आजाद के बाद भारत में फांसी का आंकड़ा 61 तक पहुंच गया है निर्भया के दोषियों से पहले आखिरी बार याकूब मेमन को फांसी दी गई थी।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। 2012 निर्भया कांड के दोषियों को आज सुबह 5.30 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। निर्भया के चारों दोषियों को मिलाकर आजाद भारत में होने वाली यह 61वीं फांसी थी। अगर हम पिछले 16 साल की बात करें तो भारत में 1300 से अधिक लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक़, साल 2004 से 2013 के बीच भारत में 1303 लोगों को फांसी की सज़ा सुनाई गई, हालांकि इस दौरान केवल तीन लोगों को फांसी दी गई।
निर्भया के दोषियों से पहले आखिरी बार याकूब मेमन को फांसी दी गई थी। 30 जुलाई सन् 2015 को 1993 के मुंबई सीरियल धमाकों में याक़ूब मेमन को फांसी दी गई। मेमन से पहले आखिरी बार फांसी की सजा संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु को दी गई थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1947 के बाद से देश में अब तक कुल(निर्भया के दोषियों को मिलाकर) 61 लोगों को फांसी दी गई है। अगर हम पिछले 16 साल की बात करें तो भारत में 1300 से अधिक लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। इसमें से सिर्फ चार धनंजय चटर्जी (2004), अफजल गुरु (2013), 26/11 मुंबई हमले के आरोपी पाकिस्तानी नागरिक आमिर अजमल कसाब (2012), याकूब मेमन(2015) को फांसी पर लटकाया गया। भारत में इस तरह से हर साल लगभग 130 लोगों को फांसी की सजा तो मिलती हैं, पर अमल में नहीं लाई जाती। वजह भारत में सजा माफी की लंबी प्रक्रिया का चलना है।
आइए नजर डालते हैं पिछले 16 सालों में हुई फांसी के बारे में-
14 अगस्त 2004
14 अगस्त 2004 को पश्चिम बंगाल के अलीपुर सेंट्रल जेल में धनंजय चटर्जी को उसके 42वें जन्मदिन के मौके पर फांसी दे दी गई। उसे एक नाबालिग के साथ रेप और हत्या को दोषी ठहराया गया था।
21 नवंबर 2012
21 नवंबर 2012 को 26/11 मुंबई हमले के एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी को फांसी दे दी गई। उसे पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटकाया गया।
9 फरवरी 2013
9 फरवरी 2013 को संसद हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरू को फांसी दी गई। उसे तिहाड़ जेल के अंदर ही फांसी पर लटका दिया गया।
30 जुलाई 2015
30 जुलाई 2015 को 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूम मेमन को फांसी दी गई। उसे महाराष्ट्र के नागपुर जेल में फांसी के तख्ते पर लटकाया गया।
20 मार्च 2020
20 मार्च 2020 को 2012 निर्भया दुष्कर्म मामले को चार दोषियों को फांसी दी गई। इस सभी को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया गया।
आजादी के बाद अब तक 1414 लोगों को फांसी सजा
आजादी के बाद भारत में पहली फांसी नाथूराम गोडसे को दी गई थी।नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) दिल्ली के 'डेथ पेनाल्टी रिसर्च प्रोजेक्ट' के मुताबिक, आजादी के बाद से अब तक देश में तकरीबन 1414 को फांसी दी गई।
राज्यवार आंकड़ों पर एक नजर
न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों में दी गई फांसियों का आंकड़ा कुछ इस प्रकार है। वर्ष 1968 तक आंध्र प्रदेश में कुल 27 लोगों को फांसी दी गई। दिल्ली में कुल 25 कैदियों को फांसी दी गई। हरियाणा में 103 लोगों को फांसी हुई। मध्य प्रदेश में अब तक कुल 78 दोषियों को फांसी दी गई। कर्नाटक में जिन 39 लोगों को फांसी की सजा हुई। महाराष्ट्र में अब तक कुल 56 लोगों को सजा-ए-मौत हुई।
UP में 395 को फांसी की सजा, लेकिन फंदे पर नहीं झूला कोई
भारत में राज्यवार आंकड़ों को देखें तो सबसे ज्यादा फांसी की सजा उत्तर प्रदेश में सुनाई गईं। उत्तर प्रदेश में कुल 395 लोगों को फांसी की सजा हुई। ये अलग बात है कि अभी तक किसी भी अपराधी पर फांसी की सजा अमल में नहीं लाई गई। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में 144, महाराष्ट्र में 129, तमिलनाडु में 106 और कर्नाटक में 103 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।