New Chief Election Commissioner: कैसे होती है CEC नियुक्ति, तीन आयुक्तों की शुरुआत कब हुई; किसने इस पद को बनाया था ताकतवर?
Process of appointment of CEC ज्ञानेश कुमार भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। वे राजीव कुमार की जगह लेंगे। CEC की नियुक्ति की योग्यता और प्रक्रिया क्या है? कितने साल के लिए वे अपने पद पर चुने जाते हैं? क्या होते हैं अधिकार? किसने इस पद को ताकतवर बनाया। एक से तीन आयुक्त कब हुए। इस स्टोरी में पढ़िए ऐसे ही कई सवालों के जवाब।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश को नया मुख्य चुनाव आयुक्त मिल गया है। इस पद पर कार्यरत राजीव कुमार का कार्यकाल आज यानी 18 फरवरी को खत्म होने के बाद ज्ञानेश कुमार भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। इस संबंध में तीन सदस्यीय मेंबर कमेटी की एक बैठक हुई, जिसमें ज्ञानेश कुमार के नाम को मंजूरी दी गई।
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है, इस पद पर पहले एक ही चुनाव आयुक्त होता था, बाद में बदलकर मुख्य चुनाव आयुक्त को मिलाकर कुल तीन चुनाव आयुक्त हो गए। ऐसी परंपरा की शुरुआत कब और कैसे हुई? इस पद को ताकतवर बनाने में किस चुनाव आयुक्त का अहम योगदान है। आज की इस स्टोरी में जानिए ऐसे ही सवालों के जवाब।
ज्ञानेश कुमार भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। उनके चयन को मंजूरी पीएम मोदी के नेतृत्व वाली कमेटी ने दी। पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मौजूद थे। इसके बाद कानून मंत्रालय ने एक नोटिस जारी किया। इसमें देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में ज्ञानेश कुमार के नाम की घोषणा की गई।
CEC की नियुक्ति कैसे होती है, क्या है प्रक्रिया?
- केंद्र सरकार ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर और उनके सहयोग के लिए दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों व कार्यकाल अधिनियम 2023 लागू किया है।
- यह नया अधिनियम बताता है कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी होगी। पीएम, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त एक केंद्रीय मंत्री की तीन सदस्यीय कमेटी चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की सिफारिश करेगी।
- सिफारिश करने से पहले, एक सर्च कमेटी का काम होता है कि वह पांच नामों को शॉर्टलिस्ट करती है। इसके बाद चयन कमेटी इनमें से एक नाम को तय करेगी।
- नए अधिनियम में यह व्यवस्था है कि तीन सदस्यों की सिलेक्शन कमेटी चाहे तो शार्टलिस्ट उम्मीदवार या उससे अलग भी किसी अन्य प्रत्याशी के नाम की सिफारिश कर सकती है।
- मुख्य चुनाव आयोग के लिए चयन कमेटी द्वारा जिस नाम को तय किया जाता है, वह नाम राष्ट्रपति के समक्ष भेजा जाता है। राष्ट्रपति उस प्रत्याशी के नाम पर अंतिम मुहर लगाते हैं।
- राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त के नाम पर अंतिम मुहर लगाने के बाद इसका नोटिफिकेशन जारी किया जाता है।
- इसके बाद चीफ इलेक्शन कमिश्नर या इलेक्शन कमिश्नर भारत निर्वाचन आयोग में पद और गोपनीयता की शपथ लेता है। इसके पश्चात वह अपने पदभार को संभालता है।
चुनाव आयुक्त बनने के लिए क्या है योग्यता?
- भारत का कानून कहता है कि भारत निर्वाचन आयोग का मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के लिए प्रत्याशी को सबसे पहले भारत सरकार का सेक्रेटरी लेवल का अफसर होना जरूरी है।
- वहीं कार्यकाल की बात की जाए, तो चीफ इलेक्शन कमिश्नर का पूरा कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। हालांकि इसमें भी एक व्यवस्था है।
कितना होता है कार्यकाल, क्या है इनका प्रोटोकॉल?
- यदि 6 साल से पहले ही कोई मुख्य चुनाव आयुक्त 65 वर्ष का हो जाए तो उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा जो अन्य दो चुनाव आयुक्त होते हैं, उनकी अधिकतम आयु सीमा 62 वर्ष होती है।
- प्रोटोकॉल में मुख्य चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों के बराबर का दर्जा प्राप्त है। वेतन और भत्ते भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों के समान ही प्राप्त होते हैं।
क्या हैं मुख्य चुनाव आयुक्त के अधिकार?
- मुख्य चुनाव आयुक्त तीनों चुनाव आयुक्तों में सबसे बड़ा अधिकारी होता है। दो अन्य चुनाव आयुक्त उन्हें सहयोग करते हैं।
- देश में आयोजित होने वाले लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो जाती है। इस समय चुनाव आयुक्त बहुत पॉवरफुल हो जाते हैं। क्योंकि चुनाव सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए पूरी प्रशासनिक मशीनरी की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग के पास आ जाती है।
- ऐसे में शासन और प्रशासन से ज्यादा शक्तियां निर्वाचन आयोग की होती हैं। तबादले से लेकर पोस्टिंग तक सब कुछ चुनाव आयोग के आदेश पर ही होता है। राज्यों की बात की जाए तो राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
1988 बैच के आईएएस अफसर हैं ज्ञानेश कुमार
- ज्ञानेश कुमार का लंबा प्रशासनिक अनुभव रहा है। भारत के नए मुख्य चुनाव ज्ञानेश कुमार आयुक्त आईएएस अधिकारी हैं। वे 1988 की बैच के केरल कैडर के अफसर हैं।
- वे अभी तक चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। ज्ञानेश कुमार सहकारिता मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत थे और पिछले साल 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हुए।
- ज्ञानेश कुमार जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के जैसे अहम फैसलों का भी हिस्सा रहे हैं। यही नहीं, उन्होंने संसदीय कार्य मंत्रालय के साथ ही गृह मंत्रालय में भी प्रशासनिक जिम्मेदारी संभाली है। उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा।
कब और क्यों शुरू हुई तीन चुनाव आयुक्त की परंपरा?
- पहले 1989 तक भारत में एक ही चुनाव आयुक्त होता था। बाद में संसद में एक अधिनियम लाया गया। इसके अनुसार दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्तों के पद जोड़े गए।
- नए नियम के अनुसार एक चीफ इलेक्शन कमिश्नर और दो इलेक्शन कमिश्नर होते हैं। सरकार ने 1 अक्टूबर 1993 को चुनाव आयोग को तीन सदस्यीय निकाय बनाया। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट का भी शुभारंभ हुआ। यह वेबसाइट 28 फरवरी 1998 को शुरू की गई।
कौन थे टीएन शेषन, जिन्होंने CEC के पद को बनाया ताकतवर
- चुनाव आयुक्तों पर आए दिन विपक्षी पार्टियां कई प्रकार के आरोप लगाती रहती हैं, लेकिन एक वक्त वो भी था जब टीएन शेषन भारत के चुनाव आयुक्त थे, तब किसी पार्टी की उन पर आरोप लगाने की हिम्मत नहीं होती थी।
- आज भी मुख्य चुनाव आयुक्त का जिक्र टीएन शेषन के बिना अधूरा है। 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक वे भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे। इस दौरान उनकी दबंगई के आगे अच्छे अच्छे नेता कुछ भी बोलने से भी बचते थे।
- उस समय जब मतदान पेटी में मुहर लगाकर वोट डाले जाते थे, उस समय भयमुक्त और निष्पक्ष चुनाव कराना बड़ी चुनौती होता था। नब्बे के उस दशक में शेषन ने चुनाव सुचारू संपन्न कर चुनाव आयुक्त की ताकत को देश के सामने दर्शाया था।
- दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन नौकरशाही में सुधार के जनक थे। अपनी ईमानदार और दबंग छवि के कारण राजनेता भी उनसे दूरी ही बनाकर रखते थे।
किसने दिया था टीएन शेषन को चुनाव आयुक्त बनने का प्रस्ताव?
1954 में आईएएस अधिकारी बने शेषन की नियुक्ति प्रशासनिक अफसर के रूप में 80 के दशक में दिल्ली में हुई। 1989 में जब कांग्रेस की हार हुई, तब उनका तबादला प्लानिंग कमीशन में कर दिया गया। फिर चंद्रशेखर की सरकार बनने पर कानून मंत्री बने सुब्रह्मण्यम स्वामी। उन्होंने ही टीएन शेषन को मुख्य चुनाव आयुक्त बनने का आफर दिया। पहले तो शेषन इस पद के लिए तैयार नहीं हुए, पर बाद में इस पद को स्वीकार कर लिया।
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