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    जानें क्या होता है हलाल और झटका मीट जिसपर मचे बवाल को कुमारास्वामी ने बताया 'गैरजरूरी'

    By Monika MinalEdited By:
    Updated: Mon, 04 Apr 2022 03:09 PM (IST)

    कर्नाटक में अब हिजाब के बाद झटका व हलाल मीट को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस क्रम में जनता दल सेक्युलर के नेता एचडी कुमारास्वामी ने कहा है कि इस मामले को अनावश्यक तौर पर तूल दिया जा रहा है।

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    जानिए क्या होता है 'हलाल और झटका मीट' जिसके लिए मचा है कर्नाटक में हंगामा

     बेंगलुरु, एएनआइ। 'हलाल या झटका मीट' को लेकर कर्नाटक में जारी विवाद को अनावश्यक बताते हुए जनता दल सेक्युलर के नेता एचडी कुमारास्वामी ने सोमवार को कहा, 'हलाल या झटका मीट को लेकर लोगों के बीच किसी तरह का विवाद नहीं है। ये मामले अनावश्यक तौर पर बढ़ाए गए। यदि इस तरह के सांप्रदायिक दंगे शुरू होंगे तो इसका असर इंडस्ट्रीज पर भी होगा। इसलिए ही राज्य में कारपोरेट कंपनियां अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। 

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    ये है पूरा मामला

    यह विवाद गुड़ी पड़वा यानि हिंदू नववर्ष की शुरुआत से पहले शुरू हुआ था जो अब तक जारी है। यह विवाद गुड़ी पड़वा यानि हिंदू नववर्ष की शुरुआत से पहले शुरू हुआ था जो अब तक जारी है। कर्नाटक के मैसूर, रामनगर और मांडया जिले में इस समय होशातोडाकू त्योहार मनाया जाता है। इस मौके पर हिंदू समुदाय भी मीट खाते हैं। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने एक अप्रैल को आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि हथियारों के बजाए जानवरों को बिजली करंट से मारा जाए। यह आदेश हलाल मीट के प्रचलन को कम करने के लिए किया गया था। दरअसल पशुपालन विभाग ने कहा था कि उन्हें ऐसी शिकायतें मिल रहीं हैं कि जानवरों की जान पूरी तरह से नहीं ली जा रही है।

    हलाल का मतलब 

    हलाल शब्द का अरबी भाषा में अर्थ होता है- 'उपभोग के योग्य'। इस प्रक्रिया के तहत जानवर को मारने से पहले इसके शरीर से एक एक बूंद खून को निकाल दिया जाता है। इसके लिए पहले जानवर की गर्दन को थोड़ा सा काटकर एक टब में छोड़ देते हैं और शरीर से पूरा खून निकल जाने के बाद जानवर की मौत हो जाती है। झटका की तुलना में यह प्रक्रिया अधिक दर्दनाक है।

    जानें क्या होती है झटका प्रक्रिया

    झटका प्रक्रिया में धारदार हथियार से जानवर की रीढ़ पर चोट की जाती है ताकि इसकी मौत एक ही झटके में हो जाए। इसका मकसद पहले जानवर के दिमाग को शून्य करना है जिससे इन्हें दर्द महसूस नहीं होता। एक्सपर्ट के अनुसार हलाल प्रक्रिया के तहत मारे गए जानवरों के शरीर में पोषण कम होता है क्योंकि इनक शरीर से पूरा खून निकल जाता है। साथ ही खून के साथ इनमें मौजूद बीमारियां भी खत्म हो जाती हैं।