भारत ही नहीं पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी हैं शक्तिपीठ
देवी पुराण के मुताबिक, 51 शक्तिपीठ में से सिर्फ 42 भारत में स्थित हैं। इसके अलावा पांच देशों में 9 शक्तिपीठ है।
नई दिल्ली, जेएनएन। आज नवरात्र का अंतिम दिन है। नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। शिव चरित्र के अनुसार शक्ति पीठों की संख्या 51 हैं। नवरात्र में देवी मां के 51 शक्तिपीठों के दर्शन का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, उनके वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ का उदय हुआ। पवित्र शक्ति पीठ पूरे भारत के अलग-अलग स्थानों पर स्थापित हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि 51 में से 9 शक्तिपीठ विदेशों में स्थित हैं। इन देशों में पाकिस्तान, श्रीलंका, तिब्बत, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं।
देवी पुराण के मुताबिक, 51 शक्तिपीठ में से सिर्फ 42 भारत में स्थित हैं। इसके अलावा पांच देशों में 9 शक्तिपीठ है। इनमें पाकिस्तान में एक, बांग्लादेश में चार, श्रीलंका में एक, तिब्बत में एक तथा नेपाल में दो शक्तिपीठ हैं। पाकिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ, तिब्बत में मानस शक्तिपीठ, श्रीलंका में लंका शक्तिपीठ, नेपाल में गण्डकी शक्तिपीठ व गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, बांग्लादेश में सुगंध शक्तिपीठ, करतोयाघाट शक्तिपीठ, चट्टल शक्तिपीठ और यशोर शक्तिपीठ है। भारत से काफी लोग विदेशों में स्थित इन शक्तिपीठों के दर्शन के लिए जाते रहते हैं।
पाकिस्तान में हिंदू-मुस्लिम मिलकर करते हैं हिंगलाज देवी की आराधना
हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत है 'बलूचिस्तान'। बलूचिस्तान हिंदू धर्म से काफी नजदीकियां रखता है। यहां पर माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हिंगलाज माता मंदिर मौजूद है। जब शिव, माता सती के शरीर को ले जा रहे थे, तब यहां उनका सिर गिरा था। तभी से यह स्थान हिंगलाज देवी के रूप में पूजा जाने लगा। यहां नवरात्र के समय भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्र में यहां हर रोज लगभग 10 हजार लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस शक्तिपीठ पर भगवान श्रीराम, परशुराम के पिता जमदग्नि, गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देवजी भी आ चुके हैं। बलूचिस्तान में भगवान बुद्ध की सैंकड़ों मूर्तियां पाई गईं। इससे पता चलता है कि एक समय बलूचिस्तान में बौद्ध धर्म को मानने वाले काफी लोग थे।
बांग्लादेश में चार शक्तिपीठ
1- सुगंधा शक्तिपीठ: यहां सती की नासिका गिरी थी। ये मां के सुगंध का शक्तिपीठ है।
2- करतोयाघाट शक्तिपीठ: यहां सती का त्रिनेत्र गिरा था।
3- चट्टल शक्तिपीठ: यहां सती की 'दाहिनी भुजा' गिरी थी।
4- यशोर शक्तिपीठ: यहां सती की 'बाई हथेली' गिरी थी। यह शक्तिपीठ वर्तमान बांग्लादेश में खुलना ज़िले के जैसोर नामक नगर में स्थित है
तिब्बत में मानस और नेपाल में गुह्येश्वरी व गण्डकी शक्तिपीठ
मानस शक्तिपीठ तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है। जहां माता की दाहिना हथेली गिरी थी। यहां की शक्ति की दाक्षायणी तथा भैरव अमर हैं। मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है। उधर नेपाल में गण्डकी शक्तिपीठ और गुह्येश्वरी शक्तिपीठ स्थित हैं। गण्डकी शक्तिपीठ में सती के 'दक्षिणगण्ड' (कपोल) गिरा था। यहां शक्ति गण्डकी तथा भैरव चक्रपाणि हैं। गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में माता सती के शरीर के दोनों घुटने गिरे थे।