कश्मीरी नागरिकों के लिए SC का आदेश- रिटायरमेंट के बाद मात्र तीन साल ही रह सकते हैं सरकारी घर में
सुप्रीम कोर्ट ने कहा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां से निकले कश्मीरियों की वापसी शुरू हो गई है। सन 2021 के महीनों में ही करीब दो हजार लोग वहां वापस गए हैं। इस समय कश्मीर से विस्थापित 80 रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी दिल्ली के सरकारी आवासों में हैं।

नई दिल्ली, प्रेट्र। अब देश के किसी भी हिस्सेे में कश्मीर के मूल निवासी को रिटायर होने के बाद केवल तीन साल ही सरकारी आवास की सुविधा मिल सकेगी। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिया है। आदेशानुसार कश्मीर का मूल निवासी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी अवकाश प्राप्ति के बाद तीन साल से ज्यादा सरकारी आवास में नहीं रह सकता। दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और देश के हर हिस्से में यह व्यवस्था लागू होगी। यह बात गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कही है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, तीन साल का समय भी उन कर्मियों के लिए है जिन्होंने खुफिया विभाग में कार्य किया है। उन्हें सामान्य जीवन में आने के लिए अवकाश प्राप्ति के बाद तीन साल सरकारी आवास में रहने की अनुमति दी गई है। लेकिन इन अधिकारियों-कर्मचारियों को अनिश्चितकाल के लिए सरकारी आवास में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां से निकले कश्मीरियों की वापसी शुरू हो गई है। सन 2021 के महीनों में ही करीब दो हजार लोग वहां वापस गए हैं। इस समय कश्मीर से विस्थापित 80 लोग, जो रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं, वे दिल्ली के सरकारी आवासों में रह रहे हैं। तीन नजदीक के फरीदाबाद में रह रहे हैं।
इन्हीं टिप्पणियों के साथ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने तीन रिटायर्ड सरकारी कर्मियों की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। ये रिटायर्ड कर्मी दिल्ली और एनसीआर के सरकारी आवासों में रह रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकारी आवास खाली करने का उन्हें आदेश दिया था। उसी आदेश के खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट आए थे। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 31 अवकाशप्राप्त कर्मियों के मामले में आवेदन देने की राहत प्रदान की है। इन्हें 2009 के एक आदेश के तहत सरकारी आवास की सुविधा मिली हुई है।
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