रेल मंत्रालय की ये रिपोर्ट देखकर रह जाएंगे दंग! लड़कियों से पांच गुना ज्यादा लड़कों का हो रहा अपहरण
रेल मंत्रालय के रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों की तुलना में लड़के ज्यादा अगवा हो रहे हैं। आरपीएफ की मानव तस्करी रोधी इकाई ने इस वर्ष अपहृत बच्चों को छुड़ाने के लिए विशेष अभियान आपरेशन आहत चलाया। जिसकी मदद से 541 बच्चों को तस्करों के कब्जे से मुक्त कराया है।

नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। सामान्य धारणा है कि लड़कियों को अगवा किया जाता है, लेकिन रेल मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि लड़कियों की तुलना में लड़के ज्यादा अगवा हो रहे हैं। कारण कई हो सकते हैं। जैसे देह व्यापार, अंग प्रत्यारोपण, मादक पदार्थों की तस्करी, जबरन मजदूरी एवं घरेलू काम कराने के लिए प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में बच्चों को उठाया जाता है। लड़कियों की तुलना में लड़कों को अगवा किए जाने का आंकड़ा पांच गुना से भी अधिक है।
बिहार में पकड़ौवा विवाह (जबरन शादी) के उद्देश्य से भी बच्चों के अपहरण की बातें आती रहती हैं, लेकिन वह मामला अलग है। रेलवे की संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से रेलवे ने यात्रा के दौरान संकट में फंसे बच्चों की बेहतर देखभाल और सुरक्षा के लिए सात वर्ष पहले मानक संचालन प्रक्रिया जारी की थी।
RPF ने मानव तस्करों की चपेट से 2719 बच्चों को बचाया
कानून की नजर में मानव तस्करी संगठित अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में बचपन बचाने की जिम्मेवारी के तहत देश के डेढ़ सौ रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क की व्यवस्था की गई है। पिछले छह वर्षों के दौरान आरपीएफ ने 2719 बच्चों को मानव तस्करों की चपेट में आने से बचाया है। इनमें से अधिकतर बच्चे, बंगाल, बिहार, पूर्वी राज्यों, यूपी एवं झारखंड के हैं।
आपरेशन आहत से बची बच्चों की जिंदगी
आरपीएफ की मानव तस्करी रोधी इकाई ने इस वर्ष अपहृत बच्चों को छुड़ाने के लिए विशेष अभियान आपरेशन आहत चलाकर नवंबर तक विभिन्न रेलवे स्टेशनों से 541 बच्चों को तस्करों के कब्जे से मुक्त कराया है। इनमें 418 लड़के हैं, जबकि लड़कियों की संख्या सिर्फ 80 है। आरपीएफ की मानव तस्करी रोधी इकाई देशभर के करीब साढ़े सात सौ रेलवे स्टेशनों पर कार्यरत है, जो सामाजिक संस्थाओं एवं विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है।
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आरपीएफ के इस अभियान में जिन बच्चों को तस्करों के कब्जे से छुड़ाया गया है, उनमें 498 की उम्र 18 वर्ष से कम है। शेष 43 वयस्क हैं, जिनकी उम्र 19 से 22 वर्ष के बीच है। अपने अभियान में आरपीएफ ने 186 तस्करों को भी गिरफ्तार किया है। मानव तस्करी के ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। अन्य कारणों से अपने परिवार से बिछुड़ गए बच्चों की मदद में भी आरपीएफ की बड़ी भूमिका है। इसके लिए 'नन्हे फरिश्ते' अभियान चलाया जा रहा है।
चालू वर्ष में नवंबर तक रेलवे के संपर्क में आए 16,500 से अधिक बच्चों को उनके परिवार से मिलाया गया है। ये ऐसे बच्चे हैं, जो किसी न किसी कारण से यात्रा के दौरान अपने परिवार से बिछड़ गए थे। रेल मंत्रालय का मानना है कि इनमें से भी कई बच्चे मानव तस्कर गिरोह की चपेट में आ सकते थे।
वयस्कों में लड़कियां ज्यादा
वयस्क बच्चों (18 से 22 वर्ष) के मामले में आंकड़े उल्टे दिखते हैं। इसमें लड़कों की तुलना में अपहृत लड़कियों की संख्या ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक 541 अपहृत बच्चों में से 43 ऐसे हैं, जिनकी उम्र 18 से ऊपर है। इनमें मात्र 18 लड़के हैं, जबकि लड़कियों की संख्या 25 है।

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