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    Kerala: मंदिरों में 'शर्ट उतारने की प्रथा' पर नहीं लिया कोई फैसला, मंत्री वासवन ने बताई पूरी बात

    Updated: Thu, 30 Jan 2025 10:00 PM (IST)

    मंदिरों में शर्ट नहीं पहनने की परंपरा पर देवस्वोम बोर्ड ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। ये जानकारी केरल के मंत्री वीएन वासवन ने दी। विवाद तब शुरू हुआ था जब शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद इस प्रथा को बंद करने पर टिप्पणी की थी। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने भी इस रुख का स्वागत किया था। लेकिन हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया।

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    स्वामी सच्चिदानंद ने की थी टिप्पणी (फोटो: पीटीआई/फाइल)

    पीटीआई, कोट्टायम। केरल के मंत्री वीएन वासवन ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि देवस्वोम बोर्ड ने पुरुष भक्तों को मंदिरों के अंदर शर्ट पहनने से रोकने की परंपरा के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है।

    उन्होंने कहा कि मंदिर के रीति-रिवाज और अनुष्ठान तंत्रियों और संबंधित मंदिर समितियों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। वासवन ने संवाददाताओं से कहा कि यह देवस्वोम बोर्ड द्वारा तय किया गया मामला नहीं है।

    स्वामी सच्चिदानंद ने की थी मांग

    गौरतलब है कि शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद के बयान से इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई थी। उन्होंने कहा था कि मंदिरों को अब उन प्रथाओं को छोड़ देना चाहिए, जिसमें पुरुष श्रद्धालुओं को शर्ट पहनकर मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती।

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    मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने भी स्वामी सच्चिदानंद के रुख का स्वागत किया था और कहा था कि बदलते समय के अनुसार ऐसी प्रथाओं से बचा जा सकता है। हालांकि सीएम के इस बयान पर विवाद हो गया और कई हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया।

    हिंदू संगठन भड़के

    इस पर एनएसएस महासचिव जी सुकुमारन नायर ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिन्होंने कहा कि सरकार को मंदिरों में रीति-रिवाजों और प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

    मंत्री ने कहा कि शिवगिरि में अपने भाषण में स्वामी सच्चिदानंद ने टिप्पणी की कि कई अनुष्ठान और रीति-रिवाज विभिन्न स्थानों पर मौजूद हैं और उनमें से कई को समय के साथ बदला जाना चाहिए।

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