केरल में अब AI दर्ज करेगा गवाहों के बयान, हाइकोर्ट ने अदालतों के अधुनीकरण के लिए उठाया बड़ा कदम
केरल हाई कोर्ट ने न्याय को और भी तेज बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल मैसेजिंग टूल को अपनाया है। राज्य की सभी अदालतें गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए एक नवंबर से स्पीच टू टेक्स्ट ट्रांसक्रिप्शन टूल का उपयोग करेंगी। कोर्ट ने वाट्सएप नोटिफिकेशन भी शुरू किया है जिससे वकीलों और वादियों को केस लिस्टिंग और अन्य अदालती सूचना के बारे में अपडेट मिलेगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल हाई कोर्ट न्याय को तेज और अधिक सुलभ बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और डिजिटल मैसेजिंग टूल को अपनाकर अपने न्यायालयों के आधुनिकीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
राज्य की सभी अदालतें गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए एक नवंबर से स्पीच टू टेक्स्ट ट्रांसक्रिप्शन टूल, अदालतडाटएआइ का उपयोग करना शुरू कर देंगी। अब तक गवाहों के बयान या तो न्यायाधीशों द्वारा लिखे जाते थे या अदालत के कर्मचारियों द्वारा टाइप किए जाते थे।
देरी को कम करना और प्रक्रिया में अधिक सटीकता लाना
एआइ आधारित गवाही के लिए हाई कोर्ट का उद्देश्य देरी को कम करना और प्रक्रिया में अधिक सटीकता लाना है। इस प्रणाली का परीक्षण इस वर्ष की शुरुआत में एर्नाकुलम की चार ट्रायल कोर्ट में किया गया था और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी। हाई कोर्ट ने अब पूरे राज्य में इसका उपयोग अनिवार्य कर दिया है।
हाई कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक बार बयान दर्ज और हस्ताक्षरित हो जाने के बाद, इसे जिला न्यायालय मामला प्रबंधन प्रणाली (डीसीएमएस) पर अपलोड कर दिया जाएगा, जिससे पक्षकार और वकील अपने डैशबोर्ड के माध्यम से इसे एक्सेस कर सकेंगे। प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी इस योजना की निगरानी करेंगे और मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
साथ ही, तकनीकी गड़बडि़यों की स्थिति में अदालतें वैकल्पिक, हाई कोर्ट द्वारा अनुमोदित ट्रांसक्रिप्शन प्लेटफार्म का उपयोग करने की अनुमति मांग सकती हैं, जो डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इस संबंध में किसी भी प्रकार के सुझाव या प्रशिक्षण की आवश्यकता के लिए हाई कोर्ट के ई-कोर्ट से संपर्क किया जा सकता है।
हाई कोर्ट में छह अक्टूबर से वाट्सएप नोटिफिकेशन भी होगा शुरु
एआइ के साथ-साथ हाई कोर्ट छह अक्टूबर से अपने केस मैनेजमेंट सिस्टम की एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में वाट्सएप नोटिफिकेशन भी शुरू कर रहा है। इस कदम से वकीलों, वादियों और पक्षकारों को केस लिस्टिंग, ई-फाइलिंग में खामियों, कार्यवाही और अन्य अदालती सूचना के बारे में रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वाट्सएप संदेश केवल अपडेट के रूप में काम करेंगे और आधिकारिक नोटिस या समन का स्थान नहीं लेंगे। सभी संदेश केरल हाई कोर्ट से आएंगे। हितधारकों को धोखाधड़ी वाले संदेशों के प्रति सतर्क रहने और यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि उनके सीएमएस प्रोफाइल में एक सक्रिय व्हाट्सएप नंबर शामिल हो।
(समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)
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