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तलाक की अहम शर्त पर केरल HC की टिप्पणी, केंद्र से कहा- Uniform Marriage Code पर करें विचार

Uniform Marriage Code केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने केंद्र सरकार को वैवाहिक विवादों में पति-पत्नी के सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान विवाह संहिता पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Fri, 09 Dec 2022 08:40 PM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2022 08:44 PM (IST)
तलाक की अहम शर्त पर केरल HC की टिप्पणी, केंद्र से कहा- Uniform Marriage Code पर करें विचार
Uniform Marriage Code को लेकर केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क: Kerala High Court On Uniform Marriage Code: केरल हाईकेर्ट (Kerala High Court) ने माना है कि भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10ए के तहत 1 वर्ष की अलगाव की न्यूनतम अवधि का निर्धारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने कहा है कि अगर पति-पत्नी में नहीं बनती और वो आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं, तो उन्हें एक साल तक अलग-अलग रहने की जरूरत नहीं होनी चाहिए.

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HC ने केंद्र सरकार को दिया निर्देश

एक केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10ए के तहत अलगाव की न्यूनतम एक वर्ष की अवधि का निर्धारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने इस केस में कपल के एक साल अलग-अलग रहने की शर्त को रद्द कर दिया. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को वैवाहिक विवादों में पति-पत्नी के सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान विवाह संहिता पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया है।

यहां ये भी बता दें कि, राज्यसभा में शुक्रवार को भारी हंगामे के बीच बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने 'भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक, 2020' पेश किया, जिसका विपक्षी सदस्यों ने जमकर विरोध किया। बिल को पेश करने के बाद मतदान हुआ, जिसके पक्ष में 63 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 23 वोट डाले गए। देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने के वादे को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से बीजेपी ने ये प्रस्ताव रखा।

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