'राहत देने से समाज में जाएगा गलत संदेश', केरल HC ने की हेरोइन तस्करी के आरोपी की जमानत याचिका खारिज
केरल हाई कोर्ट (Kerala HC) ने हेरोइन तस्करी के मास्टरमाइंड बालाकृष्णन पेरियासामी पिल्लई को जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जियाद रहमान ए ए ने कहा प्रथम दृष्टया से पता चलता है कि मामले में आरोपी की पूरी भूमिका थी और उन्हें राहत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। डीएसजी ने उन्हें किसी भी तरह की राहत देने का विरोध किया है।

कोच्चि, एजेंसी। केरल हाई कोर्ट ने हेरोइन तस्करी के पीछे सरगना होने के आरोपी तमिलनाडु के मूल निवासी बालाकृष्णन पेरियासामी पिल्लई को जमानत देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जियाद रहमान ए ए ने कहा, रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि मामले में आरोपी की पूरी भूमिका थी और उन्हें राहत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। गौरतलब है कि तमिलनाडु के मूल निवासी पर लगभग 1,500 करोड़ रुपये मूल्य की 217 किलोग्राम से अधिक हेरोइन की तस्करी के पीछे मुख्य सरगना होने का आरोप है, जिसे तटरक्षक बल ने पिछले साल मई में केरल तट से दो नावों से जब्त किया था।
इस रिहाई से समाज में एक गलत संदेश जाएगा
कोर्ट ने यह फैसला आरोपी पिल्लई के कॉल डिटेल्स, सेल टावर लोकेशन, पैसे के लेनदेन, अन्य आरोपियों के कबूलनामे के बयानों और विभिन्न अन्य डेटा के आधार पर सुनाया है। यह सभी सबूत राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) द्वारा कोर्ट के सामने पेश किए गए थे। कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि, थम दृष्टया में यह सभी सबूत याचिकाकर्ता (पिल्लई) की भूमिका की ओर इशारा करता है।
न्यायमूर्ति जियाद ने कहा कि उपरोक्त सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, मैंने पाया कि यह एक उपयुक्त मामला नहीं है जिसमें याचिकाकर्ता को जमानत दी जा सकती है। मामले में कोई भी उदार दृष्टिकोण समग्र रूप से समाज के हित के खिलाफ होगा और इस तरह की रिहाई से समाज में एक गलत संदेश जाएगा। इन टिप्पणियों के साथ, अदालत ने पिल्लई द्वारा दायर नियमित जमानत की याचिका खारिज कर दी।
20 से अधिक लोगों को किया गया गिरफ्तार
केंद्र और डीआरआई के अनुसार, प्रतिबंधित सामग्री एक विदेशी जहाज से बरामद की गई थी और दो नौकाओं और दवाओं को भारतीय जल क्षेत्र में जब्त किया गया था। पिल्लई के अलावा, 20 से अधिक अन्य लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। भारत के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल (डीएसजी) मनु एस द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए डीआरआई ने अदालत को बताया कि दवाओं के परिवहन के लिए दो नावों की खरीद के निर्देश और पैसे पिल्लई द्वारा दिए गए थे।
डीएसजी ने उन्हें किसी भी तरह की राहत देने का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता (पिल्लई) पूरे लेनदेन के पीछे का सरगना था और उसने ही वित्त मुहैया कराया था। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री मामले में उनकी भूमिका को इंगित करने के लिए पर्याप्त नहीं थी, लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
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