Karur Stampede: 'विजय को आरोपी बनाया जाए', मद्रास हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग और तमिलनाडु सरकार को भेजा नोटिस
मद्रास हाई कोर्ट ने करूर भगदड़ मामले में चुनाव आयोग और तमिलनाडु सरकार को नोटिस भेजा है। याचिका में अभिनेता विजय को आरोपी बनाने, रैलियों में बच्चों को शामिल करने पर रोक लगाने और राजनीतिक सभाओं के लिए SOPs बनाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने विजय और आयोजकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की है। कोर्ट ने इस मामले को अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।

करूर भगदड़ मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग, तमिलनाडु सरकार और राज्य के टॉप पुलिस अफसरों को एक नोटिस भेजा है। इस नोटिस में करूर भगदड़ मामले में FIR बदलने और अभिनेता से नेता बने विजय को आरोपी बनाने की मांग की गई है।
याचिका में राजनीतिक रैलियों में बच्चों को शामिल करने पर रोक लगाने और राजनीतिक सभाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं बनाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
पीठ ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस जी अरुलमुरुगन की बेंच ने निर्देश दिया कि इस याचिका को राजनीतिक रोड शो के लिए गाइडलाइन की मांग करने वाली ऐसी ही याचिकाओं के साथ लिस्ट किया जाए। बेंच ने कहा कि ऐसी सभी याचिकाओं पर करूर हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर गठित एक स्पेशल डिवीजन एक साथ सुनवाई करेगा।
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि एक्टर विजय की TVK रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के तहत मान्यता प्राप्त पॉलिटिकल पार्टी नहीं है और इसलिए पार्टी की मान्यता रद्द करने की अर्जी नहीं बनती।
याचिका में क्या मांग की गई?
मदुरै के वकील सी सेल्वाकुमार की फाइल की गई पिटीशन में करूर टाउन पुलिस को विजय और दूसरे ऑर्गनाइजर के खिलाफ IPC सेक्शन 304A, 336-338, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के सेक्शन 75 और 83 और चाइल्ड लेबर (प्रोहिबिशन एंड रेगुलेशन) एक्ट के सेक्शन 3 जैसी सख्त सजा वाली धाराएं लगाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।
पिटीशनर ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उसने जानबूझकर विजय का नाम नहीं लिया और हल्की धाराएं लगाईं, ताकि आरोपी "कानून के चंगुल से बच जाए।" पिटीशन में कोर्ट से यह भी रिक्वेस्ट की गई है कि तमिलनाडु के डीजीपी को केस के निपटारे तक किसी भी राजनीतिक रैली या रोड शो की परमिशन देने से रोका जाए और चुनाव आयोग को पॉलिटिकल इवेंट्स में महिलाओं और नाबालिगों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए।
इसके लिए चेतन रामलाल भुटाडा बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के 2014 के फैसले का हवाला दिया गया है। पिटीशनर ने इस हादसे के लिए विजय और उनके ऑर्गनाइजर की "लापरवाही और मिसमैनेजमेंट" को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें सात घंटे की देरी, खाने, पानी और टॉयलेट की कमी और पुलिस के निर्देशों के कथित उल्लंघन की ओर इशारा किया गया। पिटीशन में हर पीड़ित के लिए 1 करोड़ रुपये का मुआवजा भी मांगा गया है, जिसे पॉलिटिकल लीडरशिप से वसूला जाए।
तमिलनाडु पहुंच जांच टीम
सुप्रीम कोर्ट की ओर से करूर मामले की सीबीआई जांच के आदेश के बाद गठित टीम तमिलनाडु पहुंच गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, एसआइटी के पास मौजूद मामले से संबंधित दस्तावेज सीबीआइ अधिकारियों को सौंप दिए गए हैं। तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) प्रमुख विजय की रैली के दौरान मची भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी।
सीबीआइ टीम का नेतृत्व आइपीएस अधिकारी प्रवीण कुमार कर रहे हैं। उनके अलावा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एडीएसपी) मुकेश कुमार और पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रामकृष्णन इसमें शामिल हैं। न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने का भी आदेश दिया है।
ये जांच की निगरानी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष हो। शीर्ष अदालत ने आदेश में कहा था कि समिति में तमिलनाडु कैडर के दो वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी शामिल होंगे, जो राज्य के मूल निवासी नहीं होंगे। उनका चयन न्यायमूर्ति रस्तोगी द्वारा किया जाएगा।
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