Karnataka: बेलगावी में शीतकालीन सत्र सोमवार से होगा शुरू, SC/ST आरक्षण अध्यादेश को दिया जाएगा कानून का रूप
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार को कहा कि एससी/एसटी आरक्षण अध्यादेश को बदलने वाला विधेयक बेलगावी में सुवर्ण विधान सौध में विधानसभा सत्र में पेश किए जाने वाले मसौदा कानूनों में से एक है। विधानसभा सत्र में कई बिलों पर चर्चा की जाएगी।
हुबली, पीटीआइ। कर्नाटक में जल्द ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण अध्यादेश को कानून का रूप दिया जाएगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार को कहा कि एससी/एसटी आरक्षण अध्यादेश को बदलने वाला विधेयक बेलगावी में सुवर्ण विधान सौध में विधानसभा सत्र में पेश किए जाने वाले मसौदा कानूनों में से एक है। विधानसभा सत्र में कई बिलों पर चर्चा की जाएगी।
SC/ST आरक्षण अध्यादेश को बनाया जाएगा कानून
सीएम बोम्मई ने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान उत्तरी कर्नाटक से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। कर्नाटक विधानसभा सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इससे पहले, राज्य सरकार ने अध्यादेश लाकर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए तीन प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया था।
बोम्मई ने विपक्षी नेता को दिया जवाब
बता दें कि राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने अध्यादेश को अपनी सहमति दे दी है। अब, राज्य सरकार अपने फैसले को अधिक वैधता देने के लिए विधेयक पेश करना चाहती है। मंगलुरु कुकर विस्फोट पर विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया के बयान के बारे में बोम्मई ने कहा कि विपक्ष के नेता को अध्ययन करना चाहिए कि कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने क्या कहा है। बोम्मई ने कहा, 'वे (कांग्रेस नेता) स्पष्ट रूप से झूठ बोल रहे हैं कि प्रेशर कुकर विस्फोट सिर्फ एक दुर्घटना थी। मैं सिद्धारमैया को बताना चाहता हूं कि उन्हें केपीसीसी अध्यक्ष डी के शिवकुमार के बयान पढ़ने दें और फिर इस तरह से प्रतिक्रिया दें जिससे उनकी गरिमा का सम्मान हो।'
बेलगावी विवाद पर क्या बोले बोम्मई?
सीमा विवाद को लेकर बेलगावी में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के आंदोलन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संगठन पिछले 50 वर्षों से इस तरह की चीजों में लिप्त है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जानती है कि समूह को कैसे नियंत्रित करना है और एमईएस को नियंत्रण में रखने के लिए ऐसा ही किया जा रहा है। एमईएस बेलागवी के महाराष्ट्र में विलय के लिए लड़ रहा है, क्योंकि जिले में मराठी भाषी आबादी बहुत अधिक है।