कनार्टक: चामराजनगर में टीके लगवाने से बच रहे लोगों के लिए 'टीकाकरण नहीं, राशन नहीं' का नियम
सीमावर्ती जिले के उपायुक्त एम. आर. रवि जिन्होंने 27 अगस्त को 25000 टीकाकरण के दैनिक लक्ष्य के साथ एक सप्ताह तक चलने वाले विशेष टीकाकरण अभियान की शुरुआत की। केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने चामराजनगर प्रशासन की आलोचना की।

बैंगलोर, एजेंसी। कर्नाटक में चामराजनगर जिला प्रशासन ने लोगों में सामने आ रही टीके की झिझक से लड़ने के लिए 'टीकाकरण नहीं, राशन नहीं', 'टीकाकरण नहीं, पेंशन नहीं' के नारे के साथ एक टीकाकरण अभियान शुरू किया है। वहीं, विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसकी आलोचना की है।
सीमावर्ती जिले के उपायुक्त एम. आर. रवि, जिन्होंने 27 अगस्त को 25,000 टीकाकरण के दैनिक लक्ष्य के साथ एक सप्ताह तक चलने वाले विशेष टीकाकरण अभियान की शुरुआत की, ने कहा, 'हमने देखा है कि लोग वैक्सीन नहीं ले रहे हैं और टीके लेने के लिए स्वेच्छा से नहीं जा रहे हैं। जिले में लगभग 2.90 लाख बीपीएल (पीडीएस) कार्डधारक और लगभग 2.2 लाख पेंशनभोगी हैं। हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि 1 सितंबर से लाभार्थी स्वेच्छा से राशन आपूर्ति या पेंशन के पात्र होने के लिए टीके लें।'
उन्होंने बताया कि जिले में 75 फीसद टीकाकरण हो चुका है और लगभग 238 टीमें और 20 मोबाइल इकाइयां इस अभियान को अंजाम दे रही हैं। जिले में 170 सीमावर्ती गांव हैं और नौ पीएचसी उनकी सेवा कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि प्राथमिकता के आधार पर इन गांवों की आबादी का टीकाकरण किया जाएगा।
इस साल जून में, जिला प्रशासन ने टीकाकरण कवरेज में सुधार के लिए चामराजनगर, गुंडलूपेट, येलंदूर और कोल्लेगल में 'गुलाबी बूथ', सभी महिला टीकाकरण केंद्र भी लॉन्च किए थे।
वहीं, केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भाजपा सरकार और चामराजनगर प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम असंवैधानिक है। शिवकुमार ने ट्वीट किया, 'भाजपा सरकार को कोई शर्म नहीं है। उनकी अक्षमता के परिणामस्वरूप आक्सीजन की कमी के कारण 36 मौतें हुईं। अब वे वैक्सीन नहीं लेने वालों को सजा देना चाहते हैं, लेकिन उन्हें पहले आक्सीजन, वैक्सीन, टेस्ट, मौत के मुआवजे की व्यवस्था नहीं करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। चामराजनगर में, वे कहते हैं, वे टीकाकरण नहीं करने वालों को राशन या पेंशन नहीं देंगे। लेकिन क्या पर्याप्त टीके हैं? क्या उन्होंने लोगों को टीके लेने के लिए राजी किया है? बुनियादी भोजन और पेंशन से ऐसा इनकार अवैध, अनैतिक, असंवैधानिक है।' उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का आदेश खाद्य सुरक्षा कानून का उल्लंघन है। आदेश जल्द वापस लें।
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