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    Karnataka Election 2023: चुनावी रणनीति को धार देंगे शाह, कांग्रेस का आगाज दुरुस्त; अंजाम अभियान पर निर्भर

    Karnataka Election 2023 राज्य के प्रभारी अरुण सिंह ने जोर देकर कहा कि शेट्टार अपनी पारंपरिक सीट हुबली-धारवाड़ सेंट्रल से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। यह भाजपा के लिए एक सुरक्षित सीट रही है और रहेगी।

    By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 19 Apr 2023 06:42 AM (IST)
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    Karnataka Election 2023: चुनावी रणनीति को धार देंगे शाह, कांग्रेस का आगाज दुरुस्त; अंजाम अभियान पर निर्भर

    नई दिल्ली, एजेंसी। कर्नाटक में अगले महीने होने वाले चुनाव के लिए भाजपा ने एक बार कमल खिलाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। 20 अप्रैल को नामांकन की तारीख खत्म होते ही भाजपा आक्रामक चुनाव प्रचार शुरू करेगी। इसकी शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह के रोड शो के साथ होगी। गृह मंत्री शाह 21 और 22 अप्रैल को दावणगेरे और देवनहल्ली में रोड शो करेंगे और बेंगलुरु में भाजपा के प्रचार अभियान के तहत कई बैठकों में हिस्सा लेंगे। शाह के रोड शो से कर्नाटक में पार्टी के जनसंपर्क को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस दौरान गृह मंत्री चुनावी रणनीति को बेहतर बनाने के लिए राज्य में प्रचार अभियान की अगुवाई करने वाले पार्टी नेताओं के साथ कई बैठकों में शामिल होंगे। पार्टी सूत्रों ने कहा कि शाह 20 से 23 अप्रैल के बीच राज्य में रहेंगे। इसके बाद तेलंगाना की चेवेल्ला लोकसभा सीट पर राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होने के रवाना होंगे।

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    समाज को बांटते हुए खुद बंट गई कांग्रेस

    जेपी नड्डा : कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले तमाम पार्टियों के दिग्गज नेता राज्य के दौरे पर पहुंचकर जनता का समर्थन अपने पक्ष में जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा बुद्धिजीवियों से बातचीत करने के लिए हुबली में बीवीबी इंजीनियरिंग कालेज में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए।

    चुनाव अधिकारियों ने अन्नामलाई की तलाशी ली

    चुनाव प्रचार के बीच भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई के कमरे, वाहनों और हेलीकाप्टर की तलाशी ली गई। उडुपी की चुनाव अधिकारी सीता ने कहा कि अधिकारियों के एक दल ने हेलीकाप्टर और उनके पास मौजूद एक बैग की तलाशी ली लेकिन उसमें ऐसा कोई सामान नहीं मिला, जिससे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होता हो।

    शेट्टार हारेंगे, उनका निर्वाचन क्षेत्र भाजपा की सुरक्षित सीट

    भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण सिंह ने मंगलवार को कहा कि कर्नाटक चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार की पार्टी से विश्वासघात करने के लिए उनकी हार सुनिश्चित है। कार्यकर्ता उन्हें सबक सिखाएंगे। राज्य के प्रभारी अरुण सिंह ने जोर देकर कहा कि शेट्टार अपनी पारंपरिक सीट हुबली-धारवाड़ सेंट्रल से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। यह भाजपा के लिए एक सुरक्षित सीट रही है और रहेगी।

    कांग्रेस का आगाज दुरुस्त; अंजाम अभियान की दिशा पर निर्भर

    लंबे अर्से से चुनावी प्रबंधन की कमजोरियों को लेकर अक्सर निशाने पर रही कांग्रेस ने कर्नाटक की चुनावी पिच पर सत्ता की पारी खेलने की अपनी पुख्ता तैयारियों से न केवल अपने विरोधियों बल्कि सियासी विश्लेषकों को भी हैरानी में डाल दिया है। करीब 1350 गंभीर दावेदारों की बड़ी संख्या के बावजूद शांतिपूर्ण टिकट बंटवारे, सूबे में सामाजिक समीकरणों की गांठ मजबूत करने, बोम्मई सरकार के खिलाफ 40 प्रतिशत कमीशन का राजनीतिक नरेटिव बनाने से लेकर चार लुभावने चुनावी वादों की चाशनी के बीच त्रिस्तरीय चुनावी निगरानी प्रणाली के जरिये नामांकन की आखिरी तारीख से पहले ही कांग्रेस ने अपने चुनाव अभियान को टाप गियर में चलाने की तैयारी दुरुस्त कर ली है।

    सूबे में सत्ता विरोधी लहर की उम्मीद लगा रही कांग्रेस के सामने हालांकि उत्तराखंड चुनाव के झटके का सबक भी सियासी पाठ बना हुआ है और तभी तमाम दावों के बीच प्रबंधन में चूक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी जा रही। कांग्रेस ने 2022 में उदयपुर में हुए नवसंकल्प चिंतन शिविर के दौरान गहराती राजनीतिक चुनौतियों के लिए चुनाव प्रबंधन को एक प्रमुख कमजोर कड़ी माना था और इसे दुरुस्त करने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की थी। संस्थागत रूप से पार्टी का चुनावी प्रबंधन तंत्र अभी मुखर रूप से सामने नहीं आया है, लेकिन कर्नाटक का यह चुनाव कांग्रेस के लिए इसका पायलट प्रोजक्ट जरूर माना जा सकता है।

    अनुमानों के विपरीत सूबे में कांग्रेस के दो बड़े दिग्गजों सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के साथ करीब आधा दर्जन अन्य प्रमुख चेहरों के बीच नेतृत्व की गहरी अंदरूनी प्रतिस्पर्धा के बावजूद असंतोष-नाराजगी की आवाज कहीं सुनाई नहीं दे रही। टिकट बंटवारे के बाद भाजपा में नाराजगी-विद्रोह की गूंज अभी तक थमी नहीं है। वहीं, हाल के वर्षों में आपसी सिर फुटव्वल से जूझती रही कांग्रेस का कर्नाटक में इस सिरदर्दी से मुक्त रहना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इसे थामने में मिली सफलता के लिए कांग्रेस अपने उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया के तरीके को कारगर मान रही है।

    228 विधानसभा सीटों के लिए पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी ने 1350 गंभीर आवेदनों को स्वीकार किया और फिर विचाराधारा, संगठन क्षमता, क्षेत्र के विकास के लिए विजन तथा सबसे अहम जीतने की संभावनाओं जैसी कसौटियों के आधार पर टिकट तय किए गए। कर्नाटक चुनाव में मीडिया प्रबंधन का जिम्मा संभाल रहे कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ इस बारे में कहते हैं कि टिकट बंटवारे के बाद पार्टी संगठन और जनता दोनों में सूबे की सत्ता में बदलाव के लिए हमारी पुख्ता तैयारियों का संदेश गया है, जबकि भाजपा का घर चुनाव से पहले ही ढहने लगा है। सीधे चुनावी मुकाबलों में काफी समय से अक्सर भाजपा ही राजनीतिक नरेटिव तय करती रही है, लेकिन कर्नाटक में बोम्मई की सरकार के खिलाफ 40 प्रतिशत पे-सीएम के जरिये भ्रष्टाचार को कांग्रेस सबसे बड़ा मुद्दा बनाने में कामयाब रही है।