डीके शिवकुमार के बयान पर सियासी बवाल, केंद्रीय मंत्री ने किया पलटवार, बोलीं- मंदिर सेक्युलर जगह नहीं...
कर्नाटक में दशहरा उत्सव के उद्घाटन को लेकर सियासी घमासान मचा है। राज्य सरकार ने लेखिका बानु मुश्ताक को आमंत्रित किया जिसका बीजेपी ने विरोध किया। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने डी.के. शिवकुमार के बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने चामुंडेश्वरी मंदिर को सिर्फ हिंदुओं की संपत्ति नहीं बताया था। बीजेपी ने सवाल उठाया कि एक मुस्लिम लेखिका को हिंदू उत्सव के लिए क्यों चुना गया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में मशहूर दशहरा उत्सव की शुरुआत को लेकर सियासत गरमा गई है। राज्य सरकार ने बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता बानु मुश्ताक को मैसूर के दशहरा उत्सव का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन यह फैसला अब कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी जंग का कारण बन गया है।
अब केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के उस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया, जिसमें उन्होंने कहा कि चामुंडेश्वरी मंदिर सिर्फ हिंदुओं की संपत्ति नहीं है। इस बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।
बानु मुश्ताक की किताब "हृदय दीप" ने इस साल बुकर पुरस्कार जीता है। लेकिन बीजेपी ने उनके न्योते को लेकर सवाल उठाया था, यह कहते हुए कि एक मुस्लिम लेखिका को हिंदू धार्मिक उत्सव के उद्घाटन के लिए क्यों चुना गया?
बानु मुस्ताक ने इस साल बुकर अवॉर्ड जीता है।
शोभा करंदलाजे का तीखा हमला
शोभा करंदलाजे ने एक्स पर लिखा, "डी.के. शिवकुमार का यह कहना कि चामुंडेश्वरी मंदिर हिंदुओं का नहीं है, बेहद निंदनीय है।" उन्होंने कांग्रेस पर हिंदू-विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि मंदिर कोई "सेक्युलर जगह" नहीं, बल्कि हिंदुओं की पवित्र संस्था है।
करंदलाजे ने यह भी कहा कि कांग्रेस का यह कदम उनकी "हिंदू-विरोधी मानसिकता" को दर्शाता है। उन्होंने बानु मुश्ताक के न्योते पर भी सवाल उठाए, यह पूछते हुए कि क्या वह हिंदू देवी-देवताओं में विश्वास रखती हैं?
इसके जवाब में शिवकुमार ने कहा, "हिंदू मंदिरों में अल्पसंख्यक भी आते हैं। हम मस्जिदों और चर्चों में भी जाते हैं। इसे कौन रोक सकता है?" उन्होंने यह भी जोड़ा कि दशहरा सभी समुदायों का त्योहार है और चामुंडी पहाड़ी व देवी चामुंडेश्वरी सबके लिए हैं, न कि सिर्फ हिंदुओं की।
बीजेपी ने न्योते को लेकर उठाए सवाल
पूर्व बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा ने कहा, "दशहरा कोई सेकुलर आयोजन नहीं, बल्कि धार्मिक उत्सव है। क्या बानु मुश्ताक चामुंडेश्वरी में विश्वास रखती हैं और हमारे रीति-रिवाजों का पालन करती हैं?"
वहीं, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने सवाल उठाया कि बानु की किताब की अनुवादक दीपा भास्ती को न्योता क्यों नहीं दिया गया, जिन्होंने भी बुकर पुरस्कार में हिस्सा लिया था।
बानु मुश्ताक ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वह दशहरा और चामुंडेश्वरी का सम्मान करती हैं। उन्होंने कहा, "दशहरा को नाडा हब्बा (राज्य का त्योहार) कहना और चामुंडेश्वरी को मां के रूप में पुकारना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। मैं इस उत्सव को प्यार और सम्मान के साथ देखती हूं।"
बानु ने यह भी कहा कि उनकी कन्नड़ भाषा को लेकर कथित टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
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