सिद्दरमैया को मिली बड़ी राहत, MUDA Land Scam केस में लोकायुक्त ने दी क्लीन चिट
कर्नाटक लोकायुक्त ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) साइट आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्दरमैया उनकी पत्नी और दो अन्य को क्लीन चिट दे दी। शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा को एक नोटिस भेजकर उन्हें इससे अवगत कराया गया है। लोकायुक्त के नोटिस में कहा गया है कि जांच में आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी मुडा लैंड स्कैम केस में एंटी करप्शन वॉचडॉग लोकायुक्त की तरफ से क्लीन चिट मिल गई है।
ये मामला मुआवजा के लिए हुए सिद्दरमैया की पत्नी को हुए भूमि आवंटन में कथित गड़बड़ी की शिकायत के बाद सामने आया था। एंटी करप्शन एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया था कि इस गड़बड़ी के कारण राज्य को करीब 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
सिद्धरमैया के खिलाफ कोई सबूत नहीं
लोकायुक्त ने कहा कि इस मामले में सिद्दरमैया के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। बता दें कि पिछले साल एंटी करप्शन एक्टिविस्ट स्नेहमयी कृष्णा ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर मुकदमा चलाने की मांग की थी।
लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता को दिए नोटिस में कहा है कि सिद्दरमैया और दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए कोई सबूत ही नहीं हैं। स्नेहमयी कृष्णा को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। इसके बाद मामले में लोकायुक्त फाइनल रिपोर्ट जारी करेगा।
क्या है मुडा लैंड स्कैम?
आरोप है कि सिद्दरमैया की पत्नी को मैसूर के एक पॉश इलाके में प्रतिपूरक साइटें आवंटित की गईं, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत किया गया था।
MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां इसने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था। 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।
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