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    Caste Cencus के बीच कर्नाटक सरकार ने शुरू की अनुसूचित जातियों की गणना, खर्च होंगे 100 करोड़ रुपये

    Updated: Mon, 05 May 2025 07:27 PM (IST)

    कर्नाटक सरकार ने राज्य में अनुसूचित जातियों की गणना शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने बताया कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस दास के नेतृत्व में आयोग का गठन किया गया है जो 60 दिन में रिपोर्ट सौंपेगा। इस गणना पर 100 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसका उद्देश्य SC सूची में शामिल जातियों का सटीक डाटा तैयार करना है।

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    कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार (एएनआई)

    पीटीआई, बेंगलुरु।  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा है कि अनुसूचित जातियों की गणना सोमवार से शुरू हो गई और यह 17 मई तक चलेगी। इस प्रक्रिया का दूसरा चरण 19 से 21 मई के बीच आयोजित किया जाएगा और इस चरण के तहत पहले चरण में छूट गए लोगों के लाभ के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे।

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    19 मई से 23 मई तक तीसरा चरण

    आनलाइन पंजीकरण के लिए तीसरा चरण भी 19 मई से शुरू होगा और यह 23 मई तक चलेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग अपने शहरों से बाहर रह रहे हैं, वे इसका लाभ उठा सकते हैं।

    मुख्यमंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा-'राज्य में अनुसूचित जातियों (एससी) की गणना चल रही है। हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एचएन नागमोहन दास के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है। उन्हें अनुसूचित जातियों की सूची में उप-कोटा पर स्पष्ट रिपोर्ट देने का काम सौंपा गया है।'

    60 दिन में अपनी रिपोर्ट देगा आयोग

    उनके अनुसार, आयोग को 60 दिन में अपनी रिपोर्ट देनी है। इस कवायद पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और 65,000 शिक्षकों को गणना कर्मी के रूप में शामिल किया जाएगा।

    सिद्दरमैया ने कहा कि इस कवायद का उद्देश्य अनुसूचित जाति सूची में 101 जातियों पर व्यावहारिक डाटा तैयार करना है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार एवं अन्य बनाम देवेंद्र सिंह एवं अन्य के मामले में एक अगस्त, 2024 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अनुसूचित जाति के भीतर उप-वर्गीकरण की संवैधानिकता को बरकरार रखा गया।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर हमने जस्टिस नागमोहन दास आयोग का गठन किया है। उन्होंने कहा कि कुछ अनुसूचित जातियों की स्थिति में विसंगतियां हैं। 

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