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Karl Marx Birth Anniversary: मार्क्सवाद के जनक और महान विचारक कार्ल मार्क्स के सिद्धांत ने बदले दुनिया के नियम

Karl Marx Birth Anniversary कार्ल मार्क्स जर्मन दार्शनिक अर्थशास्त्री और राजनीतिक सिद्धान्तवादी थे जिन्होंने आधुनिक इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला। उनके समाजवाद कम्युनिज्म और व्यापार के स्वभाव पर विचारों ने 20वीं शताब्दी की राजनीतिक दृष्टिकोण को आकार दिया और आज भी राजनीतिक और आर्थिक विवादों पर प्रभाव डालते हैं।

By Devshanker ChovdharyEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Thu, 04 May 2023 11:24 PM (IST)Updated: Thu, 04 May 2023 11:24 PM (IST)
Karl Marx Birth Anniversary: मार्क्सवाद के जनक और महान विचारक कार्ल मार्क्स के सिद्धांत ने बदले दुनिया के नियम
कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी में हुआ था।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Karl Marx Birth Anniversary: कार्ल मार्क्स (Karl Marx)- एक ऐसा नाम, जिन्होंने पूरी दुनिया को एक नई दिशा दिखलाई। जर्मनी के महान विचारक कार्ल मार्क्स को अर्थशास्त्री, इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार, समाजशास्त्री, पत्रकार और क्रांतिकारी की उपाधि से जाना जाता है। कार्ल मार्क्स जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनीतिक सिद्धान्तवादी थे, जिन्होंने आधुनिक इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला। उनके समाजवाद, कम्युनिज्म और व्यापार के स्वभाव पर विचारों ने 20वीं शताब्दी की राजनीतिक दृष्टिकोण को आकार दिया और आज भी राजनीतिक और आर्थिक विवादों पर प्रभाव डालते हैं।

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शुरुआती जीवन और शिक्षा

कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी के राइनलैंड क्षेत्र के ट्रायर नामक शहर में हुआ था। उनके पिता एक वकील थे, जबकि उनकी मां एक धनवान परिवार से थीं। मार्क्स को घर पर शिक्षा दी गई थी। जब वे 12 साल के थे, तब उन्होंने एक स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू किया। बाद में उन्होंने बोन विश्वविद्यालय और बर्लिन विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, जहां उन्होंने दर्शन, इतिहास और अर्थशास्त्र पर ध्यान केंद्रित किया। कार्ल मार्क्स ने जेना विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। साथ ही, उन्होंने वकालत की पढ़ाई भी की थी।

बता दें कि कार्ल मार्क्स के माता-पिता यहूदी धर्म से आते थे। बाद में मार्क्स के पिता ने वकालत जारी रखने के लिए, 1816 में यहूदी धर्म छोड़कर ईसाई धर्म की प्रमुख शाखा कहे जाने वाले लूथरानिज्म धर्म को अपना लिया। साथ ही, छह वर्ष की उम्र में कार्ल मार्क्स को भी ईसाई धर्म में शामिल किया गया। हालांकि, काल मार्क्स बाद के दिनों में नास्तिक बन गए।

कार्ल मार्क्स के राजनीतिक और आर्थिक विचार

कार्ल मार्क्स को समाजवाद के प्रणेता के रूप में जाना जाता है। उनकी विचारधारा राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक बदलाव को लेकर थी। वे आर्थिक विकास को समाजवाद के माध्यम से समझते थे। कार्ल मार्क्स ने राजनीतिक विचारों के बारे में अपने काफी काम में लिखा है। उन्होंने अपने समय की धार्मिक और सामाजिक दबावों को उखाड़ फेंकने के लिए समाजवादी विचारधारा विकसित की।

उनकी विचारधारा का मूल तत्व था कि शक्ति न केवल व्यक्तिगत या संस्थात्मक होती है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक होती है। वे इस बात को बताते थे कि समाज का आधार अपने काम करने वाले लोगों पर होता है, न कि उनके लोगों पर। इसलिए, उन्होंने समाज के सभी वर्गों की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता को बताया।

कार्ल मार्क्स को कम उम्र से ही राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांत में गहरी दिलचस्पी थी। वह विशेष रूप से जर्मन दार्शनिक जॉर्ज विल्हेम फ्रेडरिक हेगेल के लेखन से प्रभावित थे, जिन्होंने तर्क दिया कि इतिहास विरोधी ताकतों के बीच संघर्षों की एक श्रृंखला से प्रेरित था। मार्क्स ने इतिहास का अपना सिद्धांत विकसित किया, जिसे उन्होंने ऐतिहासिक भौतिकवाद कहा। उनका मानना था कि आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियां ऐतिहासिक परिवर्तन के प्राथमिक चालक थे।

मार्क्स पूंजीवाद के प्रबल आलोचक थे, जिसे उन्होंने एक अंतर्निहित शोषक व्यवस्था के रूप में देखा, जिसने असमानता और अन्याय को कायम रखा। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीपतियों ने श्रमिकों के श्रम का शोषण करके धन अर्जित किया, जिन्हें उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से कम भुगतान किया गया था।

कार्ल मार्क्स के सिद्धांत

कार्ल मार्क्स साम्यवाद और समाजवाद पर अपने सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं। उनका मानना था कि पूंजीवादी व्यवस्था स्वाभाविक रूप से त्रुटिपूर्ण थी और अंततः अपने ही पतन का कारण बनेगी। मार्क्स का मानना था कि शासक वर्ग ने सर्वहारा वर्ग (मजदूर वर्ग) का शोषण किया और यह शोषण अंततः एक क्रांति की ओर ले जाएगा। जहां सर्वहारा पूंजीपति वर्ग को उखाड़ फेंकेगा और एक समाजवादी समाज की स्थापना करेगा। एक समाजवादी समाज में, उत्पादन के साधन लोगों के स्वामित्व में होंगे, और लाभ समाज के सभी सदस्यों के बीच समान रूप से साझा किया जाएगा।

मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद के सिद्धांत ने कहा कि आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियां ऐतिहासिक परिवर्तन के प्राथमिक चालक हैं। उन्होंने तर्क दिया कि पूरे इतिहास में, सामंतवाद से पूंजीवाद तक, आर्थिक प्रणालियों की एक श्रृंखला के माध्यम से समाज विकसित हुए हैं। मार्क्स के अनुसार, साम्यवादी समाज के उभरने से पहले पूंजीवाद अंतिम चरण था।

मार्क्स का मानना था कि एक पूंजीवादी समाज में, उत्पादन के साधन (जैसे कारखाने और मशीनें) पूंजीपतियों के स्वामित्व में थे, जो माल का उत्पादन करने के लिए श्रमिकों को काम पर रखते थे। श्रमिकों को वेतन दिया जाता था, जो मार्क्स का मानना था कि उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के मूल्य से कम था।

मार्क्स के सिद्धांतों का राजनीति और अर्थशास्त्र पर विशेष रूप से 20वीं शताब्दी में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। कई समाजवादी और साम्यवादी आंदोलन उनके विचारों से प्रभावित थे, और आज भी विद्वानों द्वारा उनके काम का अध्ययन और बहस जारी है।

दास कैपिटल- अर्थव्यवस्था का महाग्रंध

1864 में कार्ल मार्क्स ने अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संघ की स्थापना की। उन्होंने तीन साल बाद दास कैपिटल की पहली संस्करण प्रकाशित की। यह उनके आर्थिक सिद्धांतों पर सबसे बेहतरीन काम माना जाता है। उन्होंने इसमें बताया कि पूंजीवाद एक ऐसी व्यवस्था है, जो अपने विनाश और मार्क्सवाद की जीत के बीज अपने अंदर पाले हुए हैं।

काल मार्क्स से जुड़े कुछ तथ्य

  • कार्ल मार्क्स ने 1835 में केवल 17 साल की उम्र में दर्शनशास्त्र और साहित्य पढ़ने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन में नामांकन लिया।
  • कार्ल मार्क्स ने पिता के कहने पर वकालत की पढ़ाई की। इसके बाद, मार्क्स ने उदारवादी लोकतांत्रिक समाचार पत्र रिनीश्चे जिटुंग में लिखना शुरू किया।
  • कार्ल मार्क्स 1842 रिनीश्चे जिटुंग का संपादक बने।
  • संपादक बनने के एक साल बाद, 1843 में मार्क्स अपनी पत्नी जेनी वॉन वेस्टफैलेन के साथ पेरिस चले गए।
  • पेरिस में मार्क्स की मुलाकात फ्रेडरिक एंजेल्स से हुई।
  • 1845 में काल मार्क्स और फ्रेडरिक एंजेल्स ने मिलकर द होली फादर किताब लिखी।
  • 1847 में मार्क्स और एंजेल्स को कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो लिखने को कहा गया, जो 1847 को बनकर तैयार हुआ।
  • वर्ष 1883 में काल मार्क्स का निधन हो गया।

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