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    उमर खालिद की जमानत के लिए ऐड़ी-चोटी का दम लगा रहे कपिल सिब्बल, अब सुप्रीम कोर्ट का खटखटाएंगे दरवाजा

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Fri, 05 Sep 2025 11:50 PM (IST)

    दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद की जमानत के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के बाद सिब्बल ने शुक्रवार को कहा अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया गया है। हम इस अन्याय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

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    उमर खालिद की जमानत के लिए ऐड़ी-चोटी का दम लगा रहे कपिल सिब्बल

     पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद की जमानत के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

    दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के बाद सिब्बल ने शुक्रवार को कहा, अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया गया है। हम इस अन्याय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

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    गौरतलब है कि सिब्बल कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील सरकार में मंत्री रह चुके हैं।राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने यह भी सवाल उठाया कि भारत की लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है, जब राजनीतिक दल ऐसे मुद्दों को उठाने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उन्हें राजनीतिक नुकसान हो सकता है।

    सिब्बल ने कहा, अगर आप जमानत नहीं देना चाहते, तो याचिका खारिज करें। 20-30 सुनवाई क्यों करनी है? उमर खालिद पिछले चार साल, 11 महीने और 15 दिन से हिरासत में है।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत याचिका को जल्द से जल्द सुना जाना चाहिए और इस संबंध में कई निर्णय हैं। सिब्बल ने पूछा कि क्या यह खालिद के मामले पर लागू नहीं होता। पहली अपील जो हाई कोर्ट में दायर की गई थी, उसमें 180 दिनों में 28 सुनवाई हुईं।

    2024 में एक अपील दायर की गई और इसे खारिज होने में 407 दिन लगे। उन्होंने कहा कि खालिद के खिलाफ मामला उस भाषण से संबंधित है जो उसने मुंबई में दिया था, जिसके लिए उस पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं। सिब्बल ने दावा किया कि खालिद के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है।

    गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने फरवरी 2020 के दंगों की साजिश मामले में खालिद और शरजील इमाम सहित आरोपितों को जमानत देने से इन्कार करते हुए कहा कि नागरिकों द्वारा प्रदर्शनों या विरोधों के बहाने हिंसा की साजिश की अनुमति नहीं दी जा सकती।

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