कल्पना चावला (Kalpana Chawla)
Indian Astronaut Kalpana Chawla Birth Anniversary पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला जिन्होंने देश की हर लड़की को कुछ कर दिखाने की प्रेरणा दी। भारतीय मूल की कल्पना चावला ने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना परचम लहराया।

'यात्रा उतनी ही मायने रखती है जितना की लक्ष्य', कल्पना चावला (Kalpana Chawla) जब तक जिंदा रही उन्होंने इस बात पर हमेशा अमल किया। वह पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री थी, जिन्होंने देश की हर लड़की को कुछ कर दिखाने की प्रेरणा दी। भारतीय मूल की कल्पना चावला ने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना परचम लहराया।
- कल्पना चावला कौन थी?
- कल्पना चावला का जन्म कब और कहां हुआ?
- कल्पना चावला की पढ़ाई कहां से हुई?
- कल्पना चावला अमेरिका कब गई?
- कल्पना चावला ने कब ज्वाइन किया था नासा (NASA)?
- कल्पना अपने पहले स्पेस मिशन पर कब गई थी?
- कल्पना का दूसरा स्पेश मिशन क्यों रहा आखिरी?
- कैसे हुई कल्पना की मौत?
करनाल में हुआ था जन्म
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च, 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योति चावला है। कल्पना के माता-पिता मूल रूप से पश्चिम पंजाब के मुल्तान जिले से करनाल आए थे, जिसे अब पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है। चार भाई-बहनों में सबसे छोटी कल्पना चावला बचपन से ही साहसी बच्ची रही। घर में सब उन्हें प्यार से मोंटू कहते थे।
पंजाब से बैचलर डिग्री हासिल कर अमेरिका की भरी उड़ान...
कल्पना की स्कूली शिक्षा टैगोर बाल निकेतन से हुई। जब वह आठंवी कक्षा में पहुंची तो उन्होंने इंजीनियर बनने की इच्छा प्रकट की। अपनी इच्छा उन्होंने अपने पिता के सामने रखी। हालांकि कल्पना के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे लेकिन कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष की यात्रा करने के सपने देखती थी।
जुझार प्रृवति की कल्पना ने अपनी आगे की शिक्षा पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से पूरी की। यहां उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियर की पढ़ाई की। 1982 में उनकी बैचलर डिग्री पूरी हुई और इसी वर्ष वह अमेरिका चली गई। वर्ष 1984 में कल्पना ने टेक्सास यूनिवर्सीटी, आर्लिंगटन से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। कल्पना ने 1986 में साइंस से दोबारा मास्टर किया और फिर 1988 में कोलोराडो यूनिवर्सिटी बोल्डर से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की।
नासा से जुड़ने का ख्वाब हुआ पूरा
कल्पना का करियर वर्ष 1988 से शुरू हुआ। इसी वर्ष वह नासा से जुड़ी। चावला ने नासा एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। यहां उन्होंने वर्टिकल, शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग (V/STOL) अवधारणाओं पर कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनामिक्स (CFD) रिसर्च किया।
1993 में, वह ओवरसेट मेथड्स, इनकोर्पेट में वाइस प्रेसिडेंट और रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में शामिल हुईं। चावला के पास हवाई जहाज, सिंगल और मल्टी-इंजन वाले हवाई जहाज, सीप्लेन और ग्लाइडर के लिए कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए सर्टिफाइड फ्लाइट इंस्ट्रक्टर रेटिंग थी। अप्रैल 1991 में अमेरिकी नागरिक बनने के बाद, चावला ने NASA अंतरिक्ष यात्री कोर (NASA Astronaut Corps) के लिए अप्लाई किया। वह मार्च 1995 में कोर में शामिल हुईं और 1997 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया।
पहला स्पेस मिशन, भारत का नाम किया रौशन
पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवंबर, 1997 को छ अतंरिक्ष यात्री चालक दल के हिस्से के रूप में शुरू हुआ। कल्पना की पहली अंतरिक्ष उड़ान स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से हुई। इस उड़ान के साथ कल्पना ने भारत का नाम रौशन किया क्योंकि ऐसा कारनामा करने वाली कल्पना पहली भारतीय महिला थी।
चावला ने 10.67 मिलियन किमी, पृथ्वी के चारों ओर 252 बार यात्रा की थी। अपने पहले मिशन पर, चावला ने अंतरिक्ष में 376 घंटे (15 दिन और 16 घंटे) से अधिक लॉगिंग करते हुए, पृथ्वी की 252 कक्षाओं में 10.4/6.5 मिलियन मील की यात्रा की थी।
दूसरा और आखिरी स्पेस मिशन
वर्ष 2000 में, एसटीएस-107 के चालक दल के हिस्से के रूप में चावला को उनकी दूसरी उड़ान के लिए चुना गया। शटल इंजन फ्लो लाइनर्स की तकनीकी समस्याओं के कारण इस मिशन में बार-बार देरी हुई। 16 जनवरी 2003 को, चावला ने कोलंबिया फ्लाइट STS 107 से दूसरी बार उड़ान भरी। इस दौरान अंतरिक्ष में रहते हुए चालक दल ने पृथ्वी और अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत प्रौद्योगिकी विकास और अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का अध्ययन करते हुए लगभग 80 प्रयोग किए।
दर्दनाक मौत
चावला की मौत 1 फरवरी 2003 को स्पेस शटल कोलंबिया आपदा में, अन्य छह चालक दल के सदस्यों के साथ हुई। अंतरिक्ष शटल कोलंबिया अपना अंतरिक्ष मिशन समाप्त करने के बाद पृथ्वी पर लौट रहा था और उसी दौरान ये दुर्घटनाग्रस्त हो गया। बता दें कि सात अंतरिक्ष यात्री स्पेस में 15 दिन बिताने के बाद धरती पर लौट रहे थे।
नासा ने लॉन्च के दौरान हुई फोम स्ट्राइक की जांच की जिसमें पता चला कि कोलंबिया के जमीन छोड़ने के लगभग 82 सेकंड के बाद, फोम इंसुलेशन का एक टुकड़ा स्पेस शटल के बाहरी टैंक से टूट गया और ऑर्बिटर के पोर्ट विंग से टकरा गया था। जांच में पाया गया कि बांए विंग पर छेद होने के कारण वायुमंडलीय गैसें शटल में बहने लगीं। इस कारण स्पेसशिप के सेंसर को नुकसान पहुंचा और कोलंबिया क्रैश हो गया।
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