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    'ऐसे CJI जिनके पास नहीं थी लॉ की डिग्री...', कौन है कैलाशनाथ वांचू जिनपर निशिकांत दुबे ने किया पोस्ट

    Updated: Tue, 22 Apr 2025 05:38 PM (IST)

    कैलाशनाथ वांचू भारत के 10वें मुख्य न्यायाधीश थे जिन्होंने बिना कानून की डिग्री के यह पद संभाला था। 1967 में सीजेआई बनने से पहले वांचू एक आईसीएस अधिकार ...और पढ़ें

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    Kailashnath Wanchoo भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व सीजेआई कैलाशनाथ वांचू पर पोस्ट किया। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी पर बवाल मचा है। दुबे खुद टिप्पणी कर फंस चुके हैं। मामला इतना बढ़ गया कि अब भाजपा सांसद पर अवमानना का केस भी चलने वाला है। सुप्रीम कोर्ट केस पर अलगे हफ्ते सुनवाई को राजी हो गया है।

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    इसी बीच निशिकांत दुबे ने भारत के 10वें सीजेआई का जिक्र किया है, जिसके बाद उनके बारे में चर्चा तेज हो गई है।

    दरअसल, निशिकांत दुबे ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, ''क्या आपको पता है 1967-68 में भारत के मुख्य न्यायाधीश कैलाशनाथ वांचू ने कोई कानून की पढ़ाई नहीं की थी।'' 

    आखिर कैलाशनाथ वांचू बिना डिग्री के सीजेआई कैसे बने आइए जानते हैं... 

    कौन थे पूर्व CJI कैलाशनाथ वांचू

    कैलाशनाथ वांचू एक आईसीएस अधिकारी थे, जो कई बड़े पदों पर काम करने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके बाद वे लगभग एक वर्ष तक इस पद पर रहे और उन्होंने कई ऐसे निर्णय लिए जो देश के लिए मिसाल बने।

    सिविल सेवा परीक्षा की थी पास 

    • कैलाशनाथ वांचू का जन्म वर्ष 1903 में मध्य प्रदेश में हुआ था। पूरे परिवार में उनके इलावा कभी कोई जज नहीं बना था। 
    • 1924 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास की। इसके बाद वे अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के लिए यूके चले गए।
    • 1926 में वे सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त हुए और बाद में रायबरेली के जिला न्यायाधीश बने। आईसीएस की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें क्रिमिनल लॉ के बारे में पढ़ाया गया था। 
    • इसके बाद 1947 में वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के कार्यवाहक जज बने। 1956 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

    CJI बनने की कहानी भी दिलचस्प

    जस्टिस कैलाशनाथ वांचू के सीजेआई बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। 11 अप्रैल 1967 को तत्कालीन सीजेआई के सुब्बाराव ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वांचू को

    देश का 10वां सीजेआई चुना गया। 

    24 अप्रैल 1967 को वांचू को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 24 फरवरी 1968 को उन्होंने रिटायरमेंट की घोषणा की। अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बड़े और ऐतिहासिक फैसले सुनाए थे।

    जस्टिस वांचू के ऐतिहासिक फैसले

    इस दौरान जस्टिस वांचू ने 1286 बेंचों का गठन किया। उनकी रुचि श्रम कानून, संवैधानिक कानून और संपत्ति कानून में थी। आईसी गोलकनाथ बनाम पंजाब सरकार मामले में वांचू ने लीक से हटकर बात की। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि संसद संविधान के तीसरे भाग में बदलाव नहीं कर सकती।

    सुप्रीम कोर्ट के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण दिया जाना चाहिए। जस्टिस वांचू ने इस फैसले का विरोध किया था।