Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला, लोकसभा और राज्यसभा महासचिव को नोटिस जारी

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 09:55 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा, जो महाभियोग कार्यवाही का सामना कर रहे हैं, का मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट में है। उन्होंने लोकसभा स्पीकर द ...और पढ़ें

    Hero Image

    याचिका जस्टिस वर्मा के नाम से दाखिल नहीं की गई है (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाभियोग कार्यवाही का सामना कर रहे इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट है। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लोकसभा स्पीकर द्वारा गठित जांच कमेटी को नियम विरुद्ध बताते हुए चुनौती दी गई है। हालांकि याचिका जस्टिस वर्मा के नाम से दाखिल नहीं की गई है बल्कि गुमनाम नाम से दाखिल की गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंगलवार को शीर्ष अदालत ने मामले पर विचार का मन बनाते हुए याचिका में प्रतिपक्षी बनाए गए लोकसभा और राज्यसभा के महासचिव व लोकसभा सचिवालय को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया। ये नोटिस न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और आगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ने वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और सिद्दार्थ लूथरा की दलीलें सुनने के बाद जारी किये।

    7 जनवरी को फिर होगी सुनवाई

    सात जनवरी तक जवाब देना है। मामले में सात जनवरी को फिर सुनवाई होगी। इससे पहले याचिका पर बहस करते हुए मुकुल रोहतगी ने जांच कमेटी के गठन को जजेस इंन्क्वायरी एक्ट की धारा 3 (2) का उल्ल्घन बताया। रोहतगी ने कहा कि महाभियोग का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में एक ही दिन स्वीकार किया गया था ऐसे में जजेस इन्क्वायरी एक्ट के प्रविधानों के मुताबिक जांच के लिए संयुक्त जांच समिति गठित होनी चाहिए थी जबकि जांच समिति का गठन सिर्फ लोकसभा अध्यक्ष ने किया है।

    याचिका में मांग है कि 12 अगस्त 2025 का जांच कमेटी गठित करने का आदेश रद किया जाए। कोर्ट ने प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद याचिका पर नोटिस जारी किए। पीठ ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि संसद में तो इतने सांसद और कानूनी विशेषज्ञ मौजूद थे, तो किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिलाया। लोकसभा अध्यक्ष ने 12 अगस्त 2025 को जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के प्रस्ताव में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी।

    जवाब देने से पहले कोर्ट में मामला

    जांच समिति में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील बी.वी. आचार्य हैं। समिति ने जस्टिस वर्मा को उन पर लगे आरोपों का जवाब देने को कहा था। जस्टिस वर्मा को समिति में जवाब देने के लिए 12 जनवरी तक का समय मिला हुआ है। लेकिन अब उससे पहले सात जनवरी की तारीख सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए तय हुई है।

    जस्टिस वर्मा जब दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे तब 14 मार्च की देर शाम उनके दिल्ली के सरकारी आवास में आग लग गई थी और आग बुझाने पहुंचे अग्निशमन दस्ते को उनके घर के स्टोर रूम में भारी मात्रा में जले हुए नोटों की गड्डियां मिली थीं। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे वे मध्य प्रदेश में थे। मामला सामने आने पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के घर नगदी मिलने की मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय आंतरिक जांच कमेटी गठित की थी और कमेटी ने रिपोर्ट में पहली निगाह में आरोपों में दम पाया था।

    चीफ जस्टिस खन्ना ने रिपोर्ट आने के बाद जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने को कहा था लेकिन जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा नहीं दिया था। हालांकि उनका न्यायिक कामकाज वापस ले लिया गया था और उनका दिल्ली से इलाहाबाद स्थानांतरण कर दिया गया। जस्टिस खन्ना ने आंतरिक जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी थी। इसके बाद लोकसभा के 146 सांसदों ने जस्टिस वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष को सौंपा था। जिसे स्वीकार करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने जांच कमेटी गठित की थी। उधर राज्यसभा में भी 50 से ज्यादा सांसदों ने जस्टिस वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव दिया था।।

    यह भी पढ़ें- Delhi High Court के पूर्व जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी, संसदीय स्थायी समिति करेगी बैठक