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    Justice Verma Impeachment: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू, 208 सांसदों ने दिया नोटिस

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 11:35 PM (IST)

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा और लोकसभा में 208 सांसदों ने नोटिस दिया है। लोकसभा में 145 सांसदों ने और राज्यसभा में 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। जस्टिस वर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी पहले ही जांच कर चुकी है।

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    जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ चलेगा महाभियोग। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जले हुए नोटों के मामले में फंसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों में 208 सांसदों ने नोटिस दिया है।

    इनमें 145 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ लोकसभा के पीठासीन अधिकारी को नोटिस सौंपा गया है, वहीं राज्यसभा में दिये नोटिस में 63 सांसदों के हस्ताक्षर हैं।

    आरोपों की जांच के लिए कमेटी का किया जाएगा गठन

    कानून के मुताबिक जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों और लोकसभा में 100 सांसदों द्वारा नोटिस दिया जाना जरूरी है। देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए संसद में सीधे महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होती है या फिर आरोपों की जांच के लिए नई कमेटी का गठन किया जाता है।

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    इन सांसदों ने किया नोटिस पर हस्ताक्षर

    लोकसभा में दिए गए नोटिस में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद व अनुराग ठाकुर, राकांपा (शरद पवार) की सुप्रिया सुले, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल व के सुरेश, डीएमके के टीआर बालु, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के ईटी मोहम्मद बशीर के हस्ताक्षर शामिल हैं।

    63 विपक्षी सांसदों ने नोटिस पर किया हस्ताक्षर

    वहीं, कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन के अनुसार राज्यसभा में दिये नोटिस में 63 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर हैं। ध्यान देने की बात है कि कानून में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ संसद में महाभियोग का नोटिस दिये जाने के बाद पूरे मामले की जांच एक तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपी जाती है, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश, हाईकोर्ट के एक मुख्य न्यायाधीश और एक न्यायविद् होते हैं। लेकिन जस्टिस वर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित तीन सदस्यीय हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की कमेटी पहले ही जांच कर चुकी है।

    सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है मामला

    सरकार की ओर कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की जांच पहले ही हो जाने के बाद नई कमेटी के गठन की जरूरत नहीं है और सीधे महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो सकती है। लेकिन राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ वकील कपिल संसद द्वारा गठित कमेटी की जांच को जरूरी बता रहे हैं।

    वहीं, दूसरी ओर जस्टिस वर्मा भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की जांच को गैरकानूनी बताते हुए याचिका दाखिल कर चुके हैं। नई कमेटी गठित किये जाने की स्थिति में जस्टिस वर्मा को महाभियोग द्वारा पद से हटाने में समय लग सकता है।