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    देश के एकमात्र न्यायाधीश जिसने 15 साल में निपटाए 1.25 lakh मुकदमें, अयोध्या केस भी शामिल

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Sun, 03 Nov 2019 12:02 AM (IST)

    अदालतों में लंबित मुकदमों के बारे में बातें आए दिन होती रहती हैं लेकिन यह समाचार सुकून देने वाला है कर्तव्यनिष्ठ न्यायाधीश ने अपने काम से नजीर कायम की है।

    देश के एकमात्र न्यायाधीश जिसने 15 साल में निपटाए 1.25 lakh मुकदमें, अयोध्या केस भी शामिल

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। देश की अदालतों में लंबित मुकदमों और न्याय मिलने में देरी की चर्चाओं के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने मुकदमों के निस्तारण के मामले में नया कीर्तिमान बनाया है। न्यायमूर्ति अग्रवाल ने 15 साल के कार्यकाल में 31 अक्टूबर 2019 तक कुल 1,30,418 मुकदमों का निपटारा किया है। वह देश के एकमात्र न्यायाधीश हैं, जिन्होंने इतने मुकदमों पर फैसला देने का रिकार्ड बनाया है। उल्लेखनीय है कि अग्रवाल ने कई चर्चित मामलों में निर्णय देकर नजीर भी पेश की है।

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    चर्चित निर्णय

    • शंकरगढ़ की रानी से 45 गांव मुक्त कराने का आदेश दिया
    • ज्योतिष पीठ में शंकराचार्य पद के विवाद पर निर्णय सुनाया
    • धरना-प्रदर्शन के दौरान संपत्ति के नुकसान की वसूली का आदेश दिया
    • सरकारी कर्मियों को सरकारी अस्पताल में ही इलाज कराने का निर्देश दिया
    • श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर निर्णय सुनाकर ख्याति अर्जित की
    • अवैध कब्जे वाली नजूल भूमि को मुक्त कराकर सरकार के कब्जे में देने का निर्देश दिया
    • मंत्रियों और सरकारी अफसरों के बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने का निर्देश दिया

    मूलरूप से फीरोजाबाद के रहने वाले न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने स्नातक आगरा विश्वविद्यालय से किया। इसके बाद मेरठ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। पांच अक्टूबर 1980 से उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत करके करियर की शुरुआत की। उन्होंने टैक्स मामलों में वकालत शुरू की, लेकिन जल्द ही उनकी विशेषज्ञता सर्विस और इलेक्ट्रिसिटी मामलों में भी हो गई।

    वह उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के स्टैंडिंग काउंसिल(वकील) भी रहे। 19 सितंबर 2003 को उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता नियुक्त किए गए। फिर अप्रैल 2004 को उनको वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। अग्रवाल ने पांच अक्टूबर 2005 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के अपर न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। इसके बाद 10 अगस्त 2007 को वह हाईकोर्ट के नियमित जज नियुक्त किए गए। देश की न्यायपालिका में अगर ऐसे न्यायाधीशों की संख्या बढ़ जाए तो अदालतों में मुकदमों का फैसला लंबे समय तक रुका नहीं रहेगा।