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जानें, नए CJI जस्टिस गोगोई की 4 बड़ी चुनौती, लेकिन इस पर टिकी है देश की निगाहें

आइए जानते हैं कि बतौर सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस गोगोई के समक्ष क्‍या होंगी बड़ी चार चुनौतियां। इससे कैसे निपटेंगे नए सीजेआइ।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 09:49 AM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 07:37 AM (IST)
जानें, नए CJI जस्टिस गोगोई की 4 बड़ी चुनौती, लेकिन इस पर टिकी है देश की निगाहें
जानें, नए CJI जस्टिस गोगोई की 4 बड़ी चुनौती, लेकिन इस पर टिकी है देश की निगाहें

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। देश के प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा दो अक्‍टूबर को सेवानिवृत्त हो गए। उनके उत्‍तराधिकारी के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्‍ठ जज जस्टिस रंजन गोगोई तीन अक्‍टूबर को यानी आज नए मुख्‍य न्‍यायाधीश का पदभार संभालेंगे। जस्टिस गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्‍तर भारत के पहले मुख्‍य न्‍यायधीश होंगे। जस्टिस गोगोई देश के 46वें प्रधान न्‍यायाधीश होंगे और 17 नंवबर, 2019 तक उनका कार्यकाल होगा। आइए जानते हैं कि बतौर सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस गोगोई के समक्ष क्‍या होंगी बड़ी चुनौतियां। इसके अलावा बतौर सुप्रीम कोर्ट के जज पिछले छह वर्षों के कार्यकाल में उन्‍होंने कई अहम फैसले दिए हैं। इसके चलते वह सुर्खियों में रहे साथ जस्टिस गोगोई के करियर का लेखा-जोखा।

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क्‍या है नए CJI के समक्ष नई चुनौतियां

1- नए सीजीआइ के समक्ष कामकाज की फेहरिस्‍त में सबसे ऊपर संवदेनशील अयोध्‍या विवाद का मामला है। इसे निपटाना उनके समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी। देश के लिए यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर सबकी निगाहें होंगी।

a- खास बात यह है कि अयोध्‍या मामले में 28 अक्‍टूबर को शीर्ष अदालत की तीन जजों की बेंच सुनवाई शुरू करने जा रही है। इस मामले में नए सीजेआइ गोगाेई को तीन बेंच के लिए जजों का ऐलान करना है। यह मामला पिछले आठ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

2- पदभार ग्रहण करने के बाद नए सीजेआइ के समक्ष एक और बड़ी चुनौती न्‍यायिक कामकाज की भारी भरकम सूची को निपटाने की होगी। मौजूदा समय में  करीब 3.30 करोड़ मामले लंबित पड़े हैं।

3- उनकी दूसरी सबसे बड़ी चुनौती करीब एक दशक से न्‍यायपालिका में जजों के खाली पदों को भरने की है।  जजों की कमी के कारण चुनौतियां लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा जजों की नियुक्‍‍ित को लेकर न स‍िर्फ सुप्रीम कोर्ट बल्कि हाई कोर्ट में भी नियुक्तियां करना एक चुनौती होगी।

4- सीजेआइ के समक्ष एक और चुनौती होती है केंद्रीय बजट की। देश की न्‍याययिक संस्‍थाओं में बुनियादी ढांचे समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बजट बढ़ाने की तुरंत चुनौती होगी। 2017-18 में केंद्रीय बजट का महज 0.4 फीसद  ही न्‍यायिक व्‍यवस्‍था के लिए मिला है।

सुर्खियों में रहे जस्टिस गोगाेई

सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस रंजन गोगोई कई पीठों में शामिल रहे। इस दौरान उन्‍होंने कई अहम फैसले भी सुनाए हैं।

1- चुनाव के दौरान उम्‍मीदवारों की संपत्ति, शिक्षा व चल रहे मुकदमों का ब्‍यौरा देने के लिए ओदश देने वाली पीठ में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे।

2- मई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में केवल राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के प्रधान न्‍यायाधीश की तस्‍वीरें ही शामिल हो सकती हैं। इसका मकसद यह सुनिचित करना था कि राजनेता राजनीतिक फायदे के लिए करदाता के पैसे का बेजा इस्‍तेमाल नहीं कर सकें। इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की गई थी, जिसमें गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की थी।

3- वर्ष 2016 में जस्टिस गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू को अवमानना का नोटिश भेजा था। जस्टिस काटजू ने अपने एक फेसबुक पोस्‍ट में सोम्‍या दुष्कर्म और हत्या मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले की निंदा की थी। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दुष्कर्म का दोषी करार दिया, लेकिन हत्‍या का नहीं। यह फैसला जस्टिस गोगोई की अध्‍यक्षता वाली बेंच ने दिया था। अवमानना नोटिस के बाद जस्टिस काटजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्‍होंने फेसबुक के पोस्‍ट के लिए माफी भी मांगी थी।

4- कोलकाता हाईकोर्ट के जज कर्णन को छह महीने की कैद की सजा सुनाई और असम में राष्‍ट्रीय नागरिकता रजिस्‍टर एनआरसी बनाने वाली पीठ में शामिल रह चुके हैं। जाटों को केंद्रीय सेवा से बाहर रखने वाली पीठ का भी हिस्‍सा रह चुके हैं जस्टिस गोगोई।

कौन हैं रजंन गोगाेई

जन्‍म : 18 नवंबर 1954 को असम के डिब्रूगढ़ में हुआ।

शिक्षा : उनकी शुरुआती शिक्षा डॉन वास्‍को स्‍कूल में हुई। इंटरमीडिएट की पढ़ाई काटेन कॉलेज गुवाहटी से हुई । दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के सेंट स्‍टीफन कॉलेज से इतिहास में स्‍नातक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद डीयू से कानून की डिग्री हासिल की।

करियर : 1978 में गुवाहाटी हाईकोर्ट में बतौर वकील करियर की शुरुआत की। 28 फरवरी 2001 को गुवाहटी हाईकोर्ट का जज बनाया गया। इसके बाद 9 सितंबर 2010 को उनका तबादला पंजाब एवं हरियाणा होईकोर्ट में हो गया। 12 फरवरी 2011 को वह पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश के रूप में नियुक्ति हुए। इस पद पर वह करीब एक वर्ष तक रहे। 23 अप्रैल 2012 काे वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने।


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