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    छत्तीसगढ़: थाने में बिजली, जुगाड़ गांव में अंधेरा; दीये की रोशनी में पढ़ने को मजबूर बच्चेे

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 06:41 PM (IST)

    छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का जुगाड़ गांव 20 सालों से बिजली का इंतजार कर रहा है, जबकि पास के थाने में 24 घंटे बिजली है। 750 की आबादी वाले इस गांव के बच्चे दीये जलाकर पढ़ते हैं। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन और राष्ट्रपति तक शिकायतें की हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। 2007 में सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाई गई थी, जो अब खराब है। ग्रामीण 'सरकार द्वंद्व' से भी जूझ रहे हैं।

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    जुगाड़ गांव में 20 साल से बिजली का इंतजार

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गरियाबंद जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूर मैनपुर तहसील के वनांचल ग्राम जुगाड़ के ग्रामीण पिछले बीस वर्षों से स्थायी बिजली की सुविधा का इंतजार कर रहे हैं। जबकि, गांव के निकट स्थित पुलिस थाना पयलीखड़ में 24 घंटे बिजली की उपलब्धता है।

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    यह स्थिति छत्तीसगढ़ की स्थापना के 25 साल बाद भी राज्य के कई गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को दर्शाती है। आजादी के 78 साल बाद भी प्रदेश के अनेक गांवों में स्थायी बिजली नहीं पहुंचाई जा सकी है, जिसका खामियाजा जुगाड़ गांव के निवासी भुगत रहे हैं।

    70 मकान और 750 की आबादी वाले इस गांव के बच्चे दीया जलाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं, महिलाएं अंधेरे में रसोई का काम करती हैं, और जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है। मोबाइल चार्ज करने जैसी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पातीं।

    जुगाड़ गांव में 20 वर्षों से बिजली का इंतजार

    ग्रामीणों का कहना है कि जुगाड़ गांव सहित आस-पास के कई गांवों के निवासियों ने शासन-प्रशासन तक अपनी समस्याएं पहुंचाने में काफी प्रयास किए, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। आदिवासी युवा टेकाम नागवंशी ने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 14 में समानता का अधिकार और अनुच्छेद 21 में गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार है।

    बिजली न मिलना इसका घोर उल्लंघन है।" शिकायतकर्ता बिबेक अग्रवाल ने कहा कि जुगाड़ गांव के लोग 21वीं सदी में भी 17वीं सदी की तरह जीने को मजबूर हैं।

    राष्ट्रपति के पास पहुंची शिकायत

    ग्रामीणों की इस समस्या को देखते हुए रायपुर के बिबेक अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के पास शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में बताया गया है कि मैनपुर विकासखंड के पड़ोसी ग्राम उदयंती में बिजली आपूर्ति सुचारू है, जबकि जुगाड़ गांव अब भी अंधेरे में है।

    कई बार प्रशासन और विभागों को शिकायत देने के बावजूद कार्रवाई न होने पर ग्रामीणों ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील की है ताकि गांव में शीघ्र ट्रांसफार्मर लगाया जा सके। इस गांव में वैकल्पिक बिजली व्यवस्था के लिए 2007 में सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाई गई थी, लेकिन पिछले दो वर्षों से यह व्यवस्था भी खराब पड़ी है।

    'सरकार-हाथी द्वंद्व' भी झेल रहे गांव वाले

    जुगाड़ के आसपास के गांव उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आते हैं। ग्रामीण जंगल सिंह की हाथी के हमले में मौत का जिक्र करते हुए बताते हैं कि वे केवल हाथी के आतंक से नहीं, बल्कि मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसाने वाली 'सरकार द्वंद्व' से भी जूझ रहे हैं।

    ग्राम पंचायत तौरेंगा-जुगाड़ की सरपंच सोहन्तीन सोरी ने कहा, "हमारा जीवन अंधेरे में बीत गया है, और हमारे बच्चों का भी ऐसा ही होगा। सरकार से आग्रह है कि हमारे गांव में बिजली पहुंचाए।