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    'भारत-पाक बंटवारे के लिए जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन जिम्मेदार', NCERT के नए मॉड्यूल पर छिड़ा सियासी संग्राम

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 02:00 PM (IST)

    भारत सरकार ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस घोषित किया है। एनसीईआरटी ने इस विषय को समझने के लिए एक नया मॉड्यूल जारी किया है। इस मॉड्यूल के अनुसार विभाजन के लिए कांग्रेस जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन जिम्मेदार थे। मॉड्यूल में बताया गया है कि मुहम्मद अली जिन्ना ने बंटवारे की मांग की कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया और लॉर्ड माउंटबेटन ने इसे मंजूर किया।

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    NCERT के नए मॉड्यूल पर छिड़ा सियासी संग्राम। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत सरकार ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में घोषित किया है। इसी दिन भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था। जिसके कारण लाखों लोगों की जिंदगियों पर गहरा असर देखने को मिला।

    इस बीच इस मुद्दे को अच्छे से समझने के लिए एनसीईआरटी के एक नए मॉड्यूल की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के इतिहास को अब बच्चे इस NCERT के नए मॉड्यूल से समझेंगे। नए मॉड्यूल में बांटवारे का जिम्मेदार कांग्रेस, जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन को ठहराया गया है।

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    जानिए क्या है NCERT का नया मॉड्यूल

    दरअसल, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 14 अगस्त यानी विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर एक विशेष मॉड्यूल जारी किया है।

    कहा जा रहा कि NCERT के नए मॉड्यूल में बताया गया कि भारत का विभाजन किसी एक व्यक्ति के कारण नहीं हुआ, बल्कि इसके लिए तीन लोग या पक्ष जिम्मेदार थे। जिसमें...

    • मुहम्मद अली जिन्न- उन्होंने बंटवारे की मांग की।
    • कांग्रेस- इस बंटवारे की मांग को स्वीकार किया।
    • लॉड माउंटबेटन- इस बंटवारे को मंजूर किया।

    NCERT के दो मॉड्यूल

    जानकारी के अनुसार, एनसीईआरटी द्वारा जारी मॉड्यूल को 'विभाजन के अपराधी' के शीर्षक के नाम जारी किया गया है। इस नए मॉड्यूल को कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9 से 12वीं के छात्रों के लिए अलग-अलग रूप से तैयार किया गया है। ध्यान देने योग्य बात है कि यह मॉड्यूल किसी भी कक्षा में कोई पाठ के तौर पर नहीं पढ़ाया जाएगा। बल्कि इसको पूरक शैक्षिक सामग्री के तौर पर पेश किया जाना है, इसके माध्यम से पोस्टर, वाद-विवाद, प्रोजेक्ट्स और चर्चाओं के माध्यम से बच्चों को सिखाया जाना है।

    बंटवारे के दौरान नेताओं की रही अलग-अलग राय

    मॉड्यूल के अनुसार, आजादी के समय देश के बड़े नेताओं के पास बंटवारे को लेकर अलग-अलग राय थी। बताया गया है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल शुरुआत से ही बंटवारे के खिलाफ थे। हालांकि, बाद में उन्होंने इसे किसी तरीके से स्वीकार किया।

    जुलाई 1947 में बॉम्बे की एक महासाभा में उन्होंने कहा था कि देश अब युद्ध का मैदान बन चुका है। देश में दोनों समुदाय अब शांति से नहीं रह सकते। ऐसे में बंटवारा किया जाना चाहिए।

    भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने कहा था कि भारत का बंटवारा मैंने नहीं किया है। यह भारतीय नेताओं ने खुद मंजूर किया। उन्होंने कहा था कि मेरा काम केवल इसको शांति से लागू कराना है था। जल्दबाजी में मेरे से गलती हो गई। लेकिन बंटवारे के बाद जो कुछ भी हुआ उसके लिए भारतीय ही जिम्मेदार थे।

    इस खास मॉड्यूल में बताया गया कि महात्मा गांधी इस बंटवारे के खिलाफ थे। उन्होंने 9 अगस्त 1947 को एक प्रार्थना सभा में कहा था कि अगर कांग्रेस बंटवारे को मानती है, तो यह मेरी सलाह के खिलाफ होगा, लेकिन मैं इसका विरोध हिंसा या गुस्से में नहीं करूंगा। हालांकि, इस दौरान ऐसे हालात बने कि नेहरू और सरदार पटेल ने गृहयुद्ध के डर से बंटवारे को स्वीकार कर लिया।

    जल्दबाजी के कारण खराब हुए नतीजे

    एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल के मुताबिक, लॉर्ड माउंटबेटन ने एक बड़ी गलती की थी। माउंटबेटन ने हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दिया। हालांकि, बंटवारे को पूरा करने में केवल 5 हफ्तों का वक्त मिला। बंटवारे के कई दिनों बाद तक पंजाब में लाखों लोगों को ये भी नहीं पता था कि वह भारत के नागरिक बने हैं या पाकिस्तान के नागरिक बने हैं।

    मॉड्यूल पर सिसायी संग्राम 

    एनसीईआरटी पर अब सियासी संग्राम देखने को मिल रहा है। इस मॉड्यूल को कांग्रेस की ओर से गलत बताया है।कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि मैं एनसीईआरटी को विभाजन पर चर्चा के लिए चुनौती देता हूं। आज, उनके (भाजपा) पास एनसीईआरटी है। उन्हें विभाजन के बारे में कुछ भी नहीं पता। (समाचार एजेंसी ANI के इनपुट के साथ)

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