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नोएडा एयरपोर्ट की खासियत, यहां जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब

Jewar Airport जेवर एयरपोर्ट को मेट्रो सेवा के जरिये भी जोड़ा जायेगा। इसके साथ ही यमुना एक्सप्रेस-वे वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे को भी एयरपोर्ट से जोड़ा जाएगा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट भारत का पहला ऐसा एयरपोर्ट होगा जहां उत्सर्जन शुद्ध रूप से शून्य होगा।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 09:24 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 12:41 PM (IST)
नोएडा एयरपोर्ट की खासियत, यहां जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब
एयरपोर्ट की क्षमता एक वर्ष में लगभग 1.2 करोड़ यात्रियों को संभालने की होगी।

नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) गुरुवार दोपहर 1 बजे उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) की आधारशिला रखेंगे। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के जेवर में स्थित है, जो दिल्ली से लगभग 80 किमी दूर है। एयरपोर्ट के पहले चरण का विकास 10,050 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया जा रहा है।

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1.2 करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता

जेवर एयरपोर्ट 1300 हेक्टेयर से अधिक भूमि में फैला हुआ है और इसका पहला चरण 2024 तक पूरा हो जाएगा। इसकी क्षमता एक वर्ष में लगभग 1.2 करोड़ यात्रियों को संभालने की होगी। सभी चारों चरण पूरा होने के बाद यह क्षमता बढ़कर सात करोड़ यात्रियों तक पहुंच जाएगी। शुरुआत में जेवर हवाअड्डे पर दो हवाईपट्टियां चालू होंगी। इस हवाईअड्डे के विकास का ठेका ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल को दिया गया है।

यूपी का पांचवां इंटरनेशनल एयरपोर्ट

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बन जाने के बाद उत्तर प्रदेश भारत का एकमात्र राज्य बन जाएगा, जिसके पास पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट होंगे। तमिलनाडु और केरल ही देश के ऐसे राज्य हैं, जहां 4-4 इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं। हाल ही में कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू हुआ है। अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम चल रहा है। यह एयरपोर्ट दिल्ली एनसीआर में बनने वाला दूसरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा। यह इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) पर भीड़भाड़ कम करने में मदद करेगा।

मेट्रो सेवा से जुड़ेगा एयरपोर्ट 

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन सेंटर विकसित किया जायेगा, जिसमें मल्टी माडल ट्रांजिट केंद्र होगा, मेट्रो और हाई स्पीड रेलवे के स्टेशन होंगे, टैक्सी, बस सेवा और निजी वाहन पार्किंग सुविधा मौजूद होगी। एयरपोर्ट को मेट्रो सेवा के जरिये भी जोड़ा जायेगा। इसके साथ ही यमुना एक्सप्रेस-वे, वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे, दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे को भी एयरपोर्ट से जोड़ा जाएगा।

दिल्ली से 21 मिनट की दूरी

जेवर एयरपोर्ट को प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल से भी जोड़ने की योजना है, जिसके बाद दिल्ली और एयरपोर्ट के बीच का सफर सिर्फ 21 मिनट का हो जायेगा। इसके अलावा एयरपोर्ट में मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहालिंग सेवा भी होगी। हवाई अड्डे का डिजाइन बनाने में इस बात का ध्यान रखा गया है कि परिचालन खर्च कम हो तथा यात्रियों का आवागमन निर्बाध और तेजी से हो सके।

शून्य उत्सर्जन वाला पहला एयरपोर्ट

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट भारत का पहला ऐसा एयरपोर्ट होगा, जहां उत्सर्जन शुद्ध रूप से शून्य होगा। एयरपोर्ट के एक हिस्से को परियोजना स्थल से हटाये जाने वाले वृक्षों को लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। पीएमओ के अनुसार पहले चरण के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास का काम पूरा कर लिया गया है।

किसे मिली एयरपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी

जेवर एयरपोर्ट का विकास यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (वाइआइएपीएल) करेगी जिसमें ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के संचालन के लिए गठित कंपनी एनआइएएल की वाइआइएपीएल में एक प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।


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