'तब नेहरू को पहुंच गई थी ठेस...', न्यायिक स्वतंत्रता पर क्या बोले वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल?
वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि उस समय न्यायाधीश इतने स्वतंत्र थे कि जवाहरलाल नेहरू ने यह तक कह दिया था कि न्यायाधीश संसद के चौथे सदन के रूप में नहीं बैठ सकते। वेणुगोपाल ने कहा कि इसके बावजूद उस समय न्यायापालिका बहुत स्वतंत्र थी। उन्होंने कहा कि उस समय पर न्यायाधीशों ने कार्यपालिका द्वारा सही से काम किया था।।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में न्यायाधीश 'बहुत स्वतंत्र' थे। यहां तक की उनके खिलाफ नेहरू को भी सख्त कमेंट देना पड़ा था। ये कहना है वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल का। वेणुगोपाल ने कहा कि उस समय न्यायापालिका बहुत स्वतंत्र थी।
नेहरू ने कहा था- न्यायाधीश चौथे सदन की तरह नहीं बैठ सकते
दरअसल, एनडीटीवी के साथ विशेष साक्षात्कार में वेणुगोपाल ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि उस समय न्यायाधीश इतने स्वतंत्र थे कि जवाहरलाल नेहरू ने यह तक कह दिया था कि न्यायाधीश संसद के चौथे सदन के रूप में नहीं बैठ सकते।
कई हाई कोर्ट में काम कर चुके वेणुगोपाल
वेणुगोपाल, एक संवैधानिक वकील हैं, जिन्होंने जुलाई 2017 से सितंबर 2022 में अपनी सेवानिवृत्ति तक भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में कार्य किया। 1931 में जन्मे वेणुगोपाल ने 'दो-तीन' को छोड़कर देश के लगभग हर उच्च न्यायालय में काम किया है।
कोट पैक करने तक की दी धमकी
वेणुगोपाल ने आगे बताया कि नेहरू के समय पर न्यायाधीशों ने कार्यपालिका द्वारा सही से काम किया था। भूमि सुधार को लेकर उस समय नेहरू ने कोट पैक करने तक की धमकी दी थी, लेकिन ये फिजूल की बात साबित हुई। ऐसा इसलिए क्यों इस पर जनहित याचिका ने मुद्दो को राजनीतिक केंद्र में ला दिया।
हर जगह न्यायाधीशों का था संबंध
उन्होंने कहा कि मानव गतिविधि का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं था जिसमें न्यायाधीशों का संबंध न हो। इसलिए, कई बार अजीबोगरीब फैसले मिलते, जहां शासन का एक हिस्सा पिछले लगभग दो दशकों से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा अपने हाथ में ले लिया गया था।
उन्होंने कहा कि आज भी सुप्रीम कोर्ट में ऐसे कई जज हैं जो बहुत स्वतंत्र हैं।
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