'बंगाली मुसलमान भी हिन्दू हैं', तस्लीमा नसरीन के तर्क पर क्या बोले दिग्गज गीतकार जावेद अख्तर?
मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने लेखिका तस्लीमा नसरीन को सोशल मीडिया पर खरी-खरी सुनाई। नसरीन की दुर्गा पूजा पर की गई एक पोस्ट पर जावेद अख्तर ने अपनी राय व्यक्त करते हुए उन्हें गंगा-जमुनी तहजीब की याद दिलाई। नसरीन ने अपनी पोस्ट में बंगाली संस्कृति का आधार हिंदू संस्कृति को बताया था जिस पर अख्तर ने अपनी प्रतिक्रिया दी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मशहूर गीतकार और स्क्रीनप्ले राइटर जावेद अख्तर ने निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन को सोशल मीडिया पर जमकर खरी-खरी सुनाई है। दरअसल पूरा मामला नसरीन की एक दुर्गा पूजा पोस्ट से जुड़ा है। इस पोस्ट पर जावेद साहेब खुद अपनी बेबाक राय रखने से को रोक नहीं पाए। लगे हाथों उन्होंने तस्लीमा को गंगा-जमुनी तहजीब भी याद दिला डाली।
एक सोशल मीडिया पोस्ट में लेखिका ने कहा था कि, 'हिन्दू संस्कृति ही वास्तव में बंगाली संस्कृति का आधार है। जिसमे बंगाली मुसलमान भी शामिल हैं। ' इस पोस्ट पर जवाब देते हुए जावेद अख्तर ने लिखा कि, 'हमें "गंगा जमनी अवध संस्कृति" की भी सराहना करनी चाहिए। गंगा जमनी अवध संस्कृति, जिसे अक्सर गंगा-जमुनी तहजीब के रूप में जाना जाता है।
There is nothing to conceal: Hindu culture is the foundation of Bengali culture. We Bengalis—whatever religion or philosophy we may have embraced over the course of history—belong, in our national identity, to India. The forefathers and foremothers of Hindus, Buddhists,… pic.twitter.com/yyvYN3dZqH
— taslima nasreen (@taslimanasreen) September 29, 2025
हिंदू संस्कृति बंगाली संस्कृति का आधार है: नसरीन
30 सितंबर की आधी रात को तस्लीमा नसरीन ने X (पूर्व में ट्विटर ) पर एक पोस्ट किया। जिसमे उन्हीने कई अलग-अलग जगहों के दुर्गा पूजा पंडाल की तस्वीरें शेयर की थीं। इन तस्वीरों के कैप्शन में उन्होंने लिखा 'बंगाली, चाहे किसी भी धर्म के हों, भारत के ही हैं। उनके पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है: हिंदू संस्कृति बंगाली संस्कृति का आधार है। हम बंगालियों ने चाहे इतिहास में कोई भी धर्म या दर्शन अपनाया हो अपनी राष्ट्रीय पहचान में भारत के हैं। भारत के हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों, मुसलमानों और यहां तक कि नास्तिकों के पूर्वज सभी भारतीय हिंदू थे।'
जावेद अख्तर ने दिया जवाब
बांग्लादेशी लेखिका के पोस्ट पर जवाब देते हुए जावेद अख्तर ने लिखा, 'हम पारंपरिक अवध के लोग बंगाली संस्कृति, भाषा और साहित्य का बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन अगर कोई गंगा-जमुनी अवध संस्कृति की सराहना और सम्मान नहीं कर पाता, तो यह पूरी तरह से उसकी हार है। इस संस्कृति का अरब से कोई लेना-देना नहीं है। हां, पारसी और मध्य एशियाई संस्कृतियां और भाषाएं पश्चिमी संस्कृति की तरह हमारी संस्कृति और भाषा में घुल-मिल गई हैं, लेकिन हमारी शर्तों पर। वैसे, कई बंगाली उपनाम फ़ारसी में भी होते हैं।
We the people of traditional Awadh have great respect for Bengali culture , language and literature. But if some one is unable to appreciate and respect the great Ganga Jamni Awadh culture and its refinement its sophistication then it’s completely his lose . This culture has…
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) September 30, 2025
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