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    छोटे अपराधों में सजा का प्रविधान होगा खत्म, आज लोकसभा में सरकार पेश करेगी जनविश्वास विधेयक 2.0

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 06:00 AM (IST)

    जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025 लोकसभा में पेश किया जाएगा जिसका उद्देश्य छोटे अपराधों में सजा के प्रविधानों को खत्म करना है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इसे पेश करेंगे जिसमें 350 से अधिक प्रविधानों में संशोधन का प्रस्ताव है। इस कदम से व्यवसाय के लिए अनुकूल माहौल बनेगा।

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    विधेयक के माध्यम से 350 से अधिक प्रविधानों में संशोधन का प्रस्ताव (फोटो: एएनआई)

    पीटीआई, नई दिल्ली। जीवन और व्यापार को सुगम बनाने के उद्देश्य से कुछ छोटे अपराधों में सजा के प्रविधान को खत्म करने वाला जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025 (2.0) सोमवार को लोकसभा में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल पेश करेंगे। इस विधेयक के माध्यम से 350 से अधिक प्रविधानों में संशोधन का प्रस्ताव है।

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    इस कदम से देश में व्यवसाय के लिए अधिक अनुकूल और नागरिक-केंद्रित वातावरण बनाने में मदद मिलेगी। यह विधेयक देश के कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के सरकार के प्रयास का हिस्सा है। लोकसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित निचले सदन की कार्यसूची के अनुसार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री जन विश्वास (प्रविधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 पेश करेंगे।

    183 प्रविधानों को अपराधमुक्त किया गया था

    इसका उद्देश्य जीवन और व्यापार को सुगम बनाने के लिए विश्वास-आधारित शासन को और बेहतर बनाने हेतु छोटे अपराधों में सजा का प्रविधान खत्म करने एवं युक्तिसंगत बनाने के लिए कुछ नियमों में संशोधन करना है। इससे पहले 2023 में जन विश्वास (प्रविधानों में संशोधन) अधिनियम पारित किया गया था। इसके तहत 19 मंत्रालयों और विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रविधानों को अपराधमुक्त कर दिया गया था।

    अपराधमुक्त का तात्पर्य है किसी कार्य को अपराध की श्रेणी से हटाना, जिससे उस कार्य के लिए आपराधिक दंड नहीं लगता, लेकिन वह कार्य अभी भी गैरकानूनी या अवैध बना रह सकता है। बहरहाल, इस अधिनियम के माध्यम से सरकार ने कुछ प्रविधानों में कारावास और/या जुर्माने को हटा दिया था। कुछ नियमों में कारावास को हटा दिया गया था और जुर्माने को बरकरार रखा गया था, जबकि कुछ मामलों में कारावास और जुर्माने को दंड में बदल दिया गया था।

    पीएम मोदी ने दिए थे संकेत

    • उल्लेखनीय है कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, 'हमारे देश में ऐसे कानून हैं, जो सुनने में भले ही आश्चर्यजनक लगें, लेकिन छोटी-छोटी बातों पर भी जेल की सजा का प्रविधान करते हैं। किसी ने कभी उन पर ध्यान नहीं दिया।' उन्होंने कहा, 'मैंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया है कि ऐसे अनावश्यक कानून, जो भारतीय नागरिकों को जेल में डालते हैं, समाप्त किए जाएं। हमने पहले भी संसद में एक विधेयक पेश किया था; हम इसे इस बार फिर से लेकर आए हैं।'
    • सरकार ने इससे पहले 40,000 से ज्यादा अनावश्यक अनुपालनों (नियम, कानून, या निर्धारित प्रक्रिया का पालन) को समाप्त किया है। साथ ही, 1,500 से ज्यादा अप्रचलित कानूनों को भी रद किया है। मोदी ने कहा, 'हमने संसद में दर्जनों कानूनों को सरल बनाने के लिए उनमें संशोधन किया है और हमेशा जनता के हितों को सर्वोपरि रखा है।'

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