Move to Jagran APP

कश्मीर में अलगाववादियों नेताओं पर हो रहे खर्च का ब्योरा दे सरकार

वकील सुनील सेठी ने कहा कि यह भी अक्सर देखा गया है कि कश्मीर में सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी छोड़ कर हिंसा व पथराव जैसी घटनाओं में शामिल रहते हैं।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 07:01 AM (IST)Updated: Fri, 04 May 2018 07:12 AM (IST)
कश्मीर में अलगाववादियों नेताओं पर हो रहे खर्च का ब्योरा दे सरकार
कश्मीर में अलगाववादियों नेताओं पर हो रहे खर्च का ब्योरा दे सरकार

जम्मू (जागरण संवाददाता)। जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने राज्य के प्रमुख सचिव व गृह विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा व उनके उपचार पर हो रहे सरकारी खर्च का ब्योरा मांगा है। बेंच ने केस की अगली सुनवाई पांच जुलाई को निर्धारित करते हुए दोनों अधिकारियों को चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक समेत कई अलगाववादियों को अपना पक्ष रखने को कहा है।

loksabha election banner

हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में जस्टिस अलोक आराध्य व जस्टिस एमके हंजूरा ने दीवाकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए। दीवाकर शर्मा ने हुर्रियत नेताओं समेत उन सभी लोगों को मिल रहे सुरक्षा कवच को हटाने की मांग की, जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सुनील सेठी ने कहा कि वर्ष 1990 से कश्मीर में आतंकवाद के चलते युद्ध जैसी परिस्थितियां हैं। सीमा पार बैठे लोग और कश्मीर में बैठे उनके एजेंट इस हिंसा को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। सेठी ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त और कश्मीरी पंडितों के पलायन के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इसके विपरीत सरकार ऐसे लोगों की सुरक्षा, रहने व खाने पीने और यहां तक कि इन लोगों के इलाज पर भी भारी खर्च कर रही है।

वकील सुनील सेठी ने कहा कि यह भी अक्सर देखा गया है कि कश्मीर में सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी छोड़ कर हिंसा व पथराव जैसी घटनाओं में शामिल रहते हैं। सरकार उन्हें उस समय के लिए भी वेतन देती है, जो उन्होंने दफ्तर में गुजारा ही नहीं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सरकार ने कर्मचारियों की हाजिरी चेक करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की। सेठी ने इन कर्मचारियों की कार्यालयों में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी लगाने की अपील करते हुए कहा कि कश्मीर घाटी में कर्मचारियों को ऐसी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है। पूरे मामले पर गौर करने के बाद अदालत ने जरूरी निर्देश जारी किए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.