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Kashmir Dal Lake : सिकुड़ गई जम्‍मू-कश्‍मीर की प्रसिद्ध डल झील, सरकार घोषित करने जा रही ईको सेंसिटिव जोन

विश्व प्रसिद्ध डल झील की क्षमता लगभग 40 प्रतिशत तक सिकुड़ गई है और इसकी जल गुणवत्ता बिगड़ गई है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 05:47 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 08:06 PM (IST)
Kashmir Dal Lake : सिकुड़ गई जम्‍मू-कश्‍मीर की प्रसिद्ध डल झील, सरकार घोषित करने जा रही ईको सेंसिटिव जोन
Kashmir Dal Lake : सिकुड़ गई जम्‍मू-कश्‍मीर की प्रसिद्ध डल झील, सरकार घोषित करने जा रही ईको सेंसिटिव जोन

जम्‍मू, पीटीआइ। जम्मू और कश्मीर सरकार ने श्रीनगर की प्रसिद्ध डल झील के सिकुड़ते आकार को लेकर चिंताओं के चलते इसके आसपास के क्षेत्रों को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) घोषित करने के लिए एक दस-सदस्यीय समिति का गठन किया है। ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (DCI) के 2017 के आकलन के अनुसार, प्रदूषण और अतिक्रमणों के कारण डल झील 22 वर्ग किलोमीटर के अपने मूल क्षेत्र से सिकुड़ कर लगभग 10 वर्ग किलोमीटर हो गई है।

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डीसीआई ने यह भी पाया कि विश्व प्रसिद्ध झील की क्षमता लगभग 40 प्रतिशत तक सिकुड़ गई है और इसकी जल गुणवत्ता बिगड़ गई है। जनरल एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट (GAD) के अतिरिक्त सचिव सुभाष छिब्‍बर ने बताया, 'डल झील और उसके आसपास के इलाकों को ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने के लिए अधिसूचना के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए 10 सदस्यीय समिति के गठन को मंजूरी दी गई है। ये समिति एक महीने की अवधि के भीतर मसौदा अधिसूचना को अंतिम रूप देगी।' उन्होंने कहा कि समिति को सभी सुविधाएं और बुनियादी ढांचा आवास और शहरी विकास विभाग द्वारा प्रदान किया जाएगा।

समिति में मुख्य वन संरक्षक, पर्यटन विभाग के निदेशक, झीलों और जलमार्ग विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, उद्योग विभाग के निदेशक, श्रीनगर नगर निगम के आयुक्त (एसएमसी), कश्मीर के क्षेत्रीय वन्यजीव वार्डन, राज्य के क्षेत्रीय निदेशक शामिल हैं। सुभाष छिब्‍बर कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कृषि विभाग के निदेशक, मुख्य नगर नियोजक और विधि विभाग के प्रतिनिधि हैं।

डीसीआई के आकलन में यह भी पाया गया कि अनुपचारित सीवेज और झील में बहने वाले ठोस कचरे, जल मार्गों और अतिक्रमण से गहन प्रदूषण ने झील में परिसंचरण और प्रवाह को कम कर दिया है, जिससे जलकुंभी का व्यापक विकास हुआ है और सेहत को खतरा। इसके अलावा यह पाया गया कि गाद और अतिक्रमण के कारण कई स्थानों पर झील की गहराई कम हो गई है। साथ ही 800 से 900 हाउसबोट के कारण जल निकाय में अत्यधिक प्रदूषण होता है।


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