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    पुतिन की भारत यात्रा से पहले रूस का दौरा करेंगे जयशंकर, SCO की बैठक में होंगे शामिल

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 10:30 PM (IST)

    विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रपति पुतिन की संभावित भारत यात्रा से पहले रूस जाएंगे। वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेंगे और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस दौरान व्यापार, ऊर्जा और रक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी, जिससे भारत-रूस संबंध और मजबूत होंगे।

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    विदेश मंत्री एस. जयशंकर। (फाइल) 

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोमवार को मॉस्को में होंगे। आधिकारिक रूप से वे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की उच्चस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए जा रहे हैं लेकिन उनकी इस यात्रा को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा से जोड़कर देखा जा रहा है।

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    पुतिन 5 दिसंबर को भारत आने वाले हैं और यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक की संयुक्त अध्यक्षता करेंगे। यह उनकी 2021 के दिसंबर के बाद पहली भारत यात्रा होगी, जो रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

    पीएम मोदी और पुतिन के बीच होगी बैठक

    पुतिन और मोदी की बैठक में द्विपक्षीय संबंधों के सारे आयामों की समीक्षा होगी लेकिन द्विपक्षीय कारोबार के विस्तार देने के एजेंडे पर खास तौर पर बात होगी। मॉस्को में अपने प्रवास के दौरान जयशंकर इस एजेंडे के प्रारूप पर बात करेंगे।

    पुतिन की यात्रा पर केंद्रित होगी जयशंकर की यात्रा

    सूत्रों के अनुसार, जयशंकर की यह यात्रा पुतिन के दिसंबर दौरे की तैयारियों पर केंद्रित रहेगी। आगामी भारत-रूस शिखर सम्मेलन में ऊर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में कई समझौते होने की संभावना है। रूस की तरफ से भी यह संकेत दिया गया है कि पुतिन की आगामी भारत दौरे को लेकर तैयारियां जोरों पर है।

    इस बैठक में रक्षा क्षेत्र में एसयू-57 युद्धक विमानों की आपूर्ति (70 फीसद तक तकनीकी हस्तांतरण के साथ) और एस-400 मिसाइल प्रणाली के अतिरिक्त पांच यूनिट्स की खरीद पर चर्चा होने की बात कही जा रही है। रूस इन दोनों के लिए तैयार है।

    इसके अलावा एस-500 प्रणाली के संयुक्त उत्पादन, परमाणु ऊर्जा सहयोग, आर्कटिक क्षेत्र में निवेश, कृषि व्यापार और कनेक्टिविटी परियोजनाओं जैसे पूर्वी समुद्री गलियारे (व्लादिवोस्तोक-चेन्नई) को मजबूत करना भी एजेंडे में है।

    जयशंकर और सर्गेई लावरोव के बीच होगी बैठक

    रूसी विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि जयशंकर और रूस में उनके समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ होने वाली बैठक में से द्विपक्षीय सहयोग, एससीओ, ब्रिक्स, संयुक्त राष्ट्र सुधार, जी-20 जैसे मंचों पर आपसी सहयोग पर चर्चा करेंगे।

    जयशंकर रूस में दो नए भारतीय वाणिज्य दूतावासों का भी उद्घाटन करेंगे। यह बताता है कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर किसी दबाव में नहीं है और इसे दीर्घकालिक बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

    द्विपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाया जाएगा

    सूत्रों ने बताया कि भारत और रूस की कोशिश होगी कि द्विपक्षीय व्यापार को तेजी से विस्तारित किया जाए। भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय कारोबार हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है लेकिन यह मुख्यत: तेल-केंद्रित है। वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2021-22 के 13 अरब डॉलर से छह गुना अधिक है।

    भारत ने पहली छमाही 2025 में रूस से 1.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात किया और इस तरह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रूस के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। लेकिन व्यापार असंतुलन गंभीर है। भारत का घाटा 59 अरब डॉलर का है, क्योंकि 90 फीसद आयात ईंधन (कच्चा तेल, कोयला) पर आधारित है। दोनों देश अब तेल से आगे बढ़ने के लिए रणनीतिक कदम उठा रहे हैं।

    पिछले वर्ष भारत व रूस ने 2030 तक 100 अरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विविधीकरण पर जोर देने की बात भी की थी। भारत को रूस में अपने फार्मा उद्योग के लिए अपार संभावनाएं दिख रही हैं। साथ ही भारतीय उपभोक्त समानों व इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की मांग रूस में बढ़ने की संभावनाएं हैं। साफ है कि रूस के साथ संबंधों को लेकर भारत किसी भी सूरत में अमेरिकी दबाव में आने को तैयार नहीं है।