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    कारोबार और कनेक्टिवटी पर केंद्रित रही जयशंकर-लावरोव वार्ता, रूस को भारत के पश्चिमी और पूर्वी तट से जोड़ने की तैयारी

    Updated: Wed, 27 Dec 2023 11:01 PM (IST)

    जयशंकर ने कहा है कि रूस एक रणनीतिक साझेदार है जिसके साथ हमने अंतरराष्ट्रीय हालात व मौजूदा परिस्थितियों पर बात हुई है। साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति यूक्रेन विवाद गाजा के हालात अफगानिस्तान के अलावा शंघाई सहयोग संगठन ब्रिक्स जी-20 व संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों के बारे में बात हुई है। भारत व रूस उक्त चारों संगठनों के सदस्य है।

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    भारत व रूस के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने की संभावना।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक व्यवस्था चाहे जैसी भी हो भारत और रूस आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक परियोजनाओं को जमीन पर उतारने में जुटे हुए हैं। इस लिहाज से बुधवार को मास्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच हुई बैठक बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाएगी। इस बैठक में रूस को भारत के दो मार्गों (पश्चिमी तट और पूर्वी तट) से जोड़ने की योजना पर बात काफी आगे बढ़ी है।

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    विदेश मंत्रियों की यह बैठक दोनो देशों के प्रमुखों (भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति) के बीच होने वाली सालाना बैठक की जगह हुई है। पिछले दो वर्षों से यह शिखर बैठक नहीं हुई है जिसके अगले वर्ष होने की संभावना विदेश मंत्री जयशंकर ने जताई है।

    बैठक के बाद जयशंकर ने कहा है कि रूस एक रणनीतिक साझेदार है जिसके साथ हमने अंतरराष्ट्रीय हालात व मौजूदा परिस्थितियों पर बात हुई है। साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, यूक्रेन विवाद, गाजा के हालात, अफगानिस्तान के अलावा शंघाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स, जी-20 व संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों के बारे में बात हुई है। भारत व रूस उक्त चारों संगठनों के सदस्य है।

    जयशंकर ने आगे कहा है कि हमारे बीच आर्थिक सहयोग, ऊर्जा कारोबार, सैन्य सहयोग पर भी बात हुई है। दोनो देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच वर्ष 2024-2028 एजेंडे पर हस्ताक्षर हुए हैं। भारत व रूस के विशेष रणनीतिक रिश्ते को बहुत ही ठोस व स्थिर बताते हुए जयशंकर ने कहा है कि इस साल यह हमारे बीच सातवीं बैठक है। सर्गेई के साथ बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने यह जानकारी दी कि रूस के साथ दो संपर्क मार्ग स्थापित करने की योजना है।

    एक मार्ग भारत के पश्चिमी तट से होगा जो इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कारीडोर (आइएनएसटीसी) को जोड़ेगा। आइएनएसटीसी भारत को ईरान, अजरबैजान होते हुए रूस से जोड़ेगा। दूसरा मार्ग भारत के पूर्वी तट (चेन्नई) से सुदूर पूर्वी रूस में स्थित व्लादिवोस्तोक बंदरगाह का होगा। इस मार्ग को भारत यूरोप से भी जोड़ने की इच्छा रखता है।

    दोनो नेताओं के बीच भारत व रूस के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने की संभावना पर भी बात हुई है। इस बारे में रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने जानकारी दी। बताया गया है कि दोनो देश भारतीय रुपये, रूस की मद्रा रूबल या दोनो मुद्राओं में आयात-निर्यात का सेटलमेंट करने को लेकर बात कर रहे हैं। इस बारे में विदेश मंत्री जयशंकर ने एक दिन पहले रूस के कारोबार मंत्री से भी बात की थी।