BBC Controversial Documentary: बीबीसी डाक्यूमेंट्री भारत में विदेश से की जा रही राजनीति का हिस्सा : जयशंकर
BBC controversial documentary विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा देश में शुरू हुआ हो या नहीं लंदन-न्यूयार्क में शुरू हो गया चुनावी मौसम- यह भारत केंद्र सर ...और पढ़ें

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बीबीसी की विवादित डाक्यूमेंट्री का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि ऐसे लोग मीडिया के जरिये 'वास्तविक राजनीति' कर रहे हैं जिनके पास राजनीतिक क्षेत्र में आने का साहस नहीं है। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले बीबीसी की डाक्यूमेंट्री और जार्ज सोरोस के बयान की टाइमिंग कोई संयोग नहीं है। इसका सीधा मतलब यह है कि भारत में विदेश से राजनीति की जा रही है और देश में चुनावी मौसम शुरू हुआ हो या नहीं, लंदन व न्यूयार्क में हो चुका है।
प्रधानमंत्री की कट्टरवादी छवि बनाने की कोशिश
एक साक्षात्कार में जयशंकर ने कहा, 'मैं एक साजिश के सिद्धांत को मानने वाला नहीं हूं। मैं जो समझा रहा हूं, वह यह है कि राजनीति काम कर रही है, यह जरूरी नहीं कि इस काम में कोई साजिश हो। यह समझना मुश्किल क्यों है कि भारत के बाहर भी भारत के समान ही विचारधाराएं और राजनीतिक ताकतें हैं और दोनों साथ-साथ काम कर रहे हैं? समस्या का एक हिस्सा यह है कि जब भारत में राजनीतिक ताकतें चुनावी रूप से इतना अच्छा नहीं कर रही हैं तो वे इस समर्थन प्रणाली की मदद लेने की ओर प्रवृत्त होती हैं।'
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विदेश मंत्री ने इस हंगामे को अन्य तरीकों से राजनीति करार देते हुए कहा, ''कभी-कभी भारत की राजनीति अपनी सीमाओं में उत्पन्न नहीं होती, यह बाहर से आती है। हम सिर्फ एक डाक्यूमेंट्री या किसी यूरोपीय शहर में दिए एक भाषण या किसी समाचार पत्र के संपादकीय पर बहस नहीं कर रहे हैं, हम वास्तव में राजनीति पर बहस कर रहे हैं जिसे मीडिया के जरिये किया जा रहा है। एक मुहावरा है- अन्य तरीकों से युद्ध। यह दूसरे तरीके से राजनीति है।
'जयशंकर ने कहा कि यह भारत, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री की कट्टरवादी छवि बनाने की कोशिश है। यह एक दशक से चल रहा है। विदेश में इस तरह की खबरें प्लांट करने का मकसद भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाना है।
विदेश मंत्री ने सवाल किया, ''अचानक रिपोर्टों और विचारों में वृद्धि क्यों हुई है? क्या इनमें से कुछ चीजें पहले नहीं हो रही थीं, 1984 में दिल्ली में बहुत कुछ हुआ था, उस पर डाक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनी।''
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उन्होंने इस तरह के एजेंडे से मूर्ख नहीं बनने की सलाह देते हुए कहा कि यह राजनीति ऐसे लोग कर रहे हैं जिनमें इस क्षेत्र में आने का साहस नहीं है। वे यह कहते हुए राजनीति करना चाहते हैं कि वे एनजीओ, मीडिया संगठन आदि हैं।
इसी क्रम में उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनों का जिक्र किया और पूछा कि अब एक वर्ष या दो वर्ष बीत चुके हैं और वे लोग कहां हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद-370 के बारे में अधिकतर अंतरराष्ट्रीय अखबारों खासकर अंग्रेजी अखबारों ने यह नहीं बताया कि यह एक अस्थायी प्रविधान था।

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