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Jaipur Blast: विस्फोट के दोषियों को क्यों मिली HC से राहत, घटना से लेकर आरोपियों के रिहा होने तक की कहानी

Jaipur Serial Bomb Case जयपुर ब्लास्ट केस में निचली आदालतों ने 4 लोगों को दोषी करार दिया था। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा जहां बीते दिन कोर्ट ने निचली अदालतों का फैसला पटलटते हुए सभी को बरी कर दिया। आइए जानें 15 साल पुरानी जयपुर ब्लास्ट की पूरी कहानी...

By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaPublished: Thu, 30 Mar 2023 05:15 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2023 05:36 PM (IST)
Jaipur Blast: विस्फोट के दोषियों को क्यों मिली HC से राहत, घटना से लेकर आरोपियों के रिहा होने तक की कहानी
Jaipur Serial Bomb Blast: जयपुर ब्लास्ट की पूरी कहानी

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। राजस्थान के जयपुर में साल 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट में 71 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। जयपुर में सिलसिलेवार 8 ब्लास्ट हुए थे और इसमें 185 लोग घायल भी हो गए थे। मामले में कई सालों तक जांच होने के बाद ट्रायल कोर्ट का निर्णय आया था और निचली आदालतों ने 4 लोगों को दोषी करार दिया था। इसके बाद मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा जहां बीते दिन कोर्ट ने निचली अदालतों का फैसला पलटते हुए सभी को बरी कर दिया। आइए जानें, 15 साल पुरानी जयपुर ब्लास्ट की पूरी कहानी...

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चांदपोल बाजार में ब्लास्ट से सबसे ज्यादा मौत

वर्ष 2008 को 13 मई के दिन इस ब्लास्ट की घटना में कई लोगों के परखच्चे उड़ गए तो कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। दरअसल, ये ब्लास्ट जयपुर के चांदपोल बाजार स्थित हनुमान मंदिर में हुए थे और मंगलवार का दिन होने के चलते वहां श्रद्धालुओं की भीड़ जमा थी। इसी बीच मंदिर में बज रही घंटियों की आवाज के बीच एक जोरदार ब्लास्ट हुआ और 20 लोग मौके पर ही मर गए और कई लोग घायल हुए।

लगातार 8 ब्लास्ट से दहल उठा जयपुर

चांदपोल बाजार में धमाका होने के बाद वहां अफरा तफरी का माहौल हो गया। लोग इधर उधर भागने लगे, वहीं दूसरी तरफ त्रिपोलिया बाजार में भी ब्लास्ट हो गया और लोग तेजी से भागते देखे गए। इसी प्रकार जयपुर के कई इलाकों में एक के बाद एक सिलसिलेवार 8 ब्लास्ट हुए और इसमें 71 लोगों ने अपनी जान गंवा दी।

11 साल बाद आरोपियों को हुई सजा 

ब्लास्ट के बाद तत्कालीन राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने आतंकियों को पकड़ने के लिए एक एंटी टेररिस्ट स्कवाड बनाया। इस टीम ने कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया था, लेकिन उनमें से 3 आज फरार हैं। वहीं, 3 दिल्ली और हैदराबाद की जेल में तो 2 चर्चित बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए थे। बाकी के पांच में से 4 को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई तो 1 को बरी कर दिया गया था। इसके बाद 4 आरोपियों ने हाई कोर्ट में केस डाला जिसके बाद कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी को रिहा कर दिया।

साइकिल बने रिहाई का जरिया

दरअसल, सभी 8 बम साइकिल में ही लगाए गए थे और इसी साइकिल की थ्योरी को लेकर हाई कोर्ट ने सभी चारों आरोपियों को बरी किया। 48 दिनों से मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की बेंच ने एटीएस की थ्योरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि साइकिल खरीदने की बात आपको जांच के 4 महीने बाद पता लगी, लेकिन 3 दिन बाद ही आपको कैसे पता चला कि आरोपियों ने जयपुर आकर साइकिल खरीदी।

कोर्ट ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि आतंकी 13 मई को ही आते हैं, साइकिल खरीदते है और बम लगाकर उसी दिन भाग जाते हैं। पीठ ने कहा कि इससे कुछ साबित नहीं होता है।

अधिकारियों पर ही जांच कर कार्रवाई के आदेश

कोर्ट ने इसके बाद आदेश देते हुए कहा कि इस मामले में अधिकारियों द्वारा घोर लापरवाही बरती गई है और इसके चलते 71 लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। कोर्ट ने इसके बाद आदेश दिया कि इन अधिकारियों को अक्षम कार्यों के लिए जवाबदेह बनाना होगा।  


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