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हर वक्‍त मौत को बेहद करीब से देखते हैं अबू हसन और उनके साथी

अब हसन जैसे कई लोग सीरिया में बमबारी के बीच लोगों की मदद करने दौड़ पड़ते हैं। इनका सामना हर वक्‍त मौत से होता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 05 Jun 2017 10:13 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jun 2017 02:48 PM (IST)
हर वक्‍त मौत को बेहद करीब से देखते हैं अबू हसन और उनके साथी
हर वक्‍त मौत को बेहद करीब से देखते हैं अबू हसन और उनके साथी

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। सीरिया दुनिया के मानचित्र पर एक ऐसी जगह है जहां हर वक्‍त मौत मंडराती है। जहां गोलियों और बमबारी की आवाज के पीछे हर आवाज दब जाती है। यहां रोते बि‍लखते इंसानों को हर मोड़ पर देखा जा सकता है। कई वर्षों से जारी युद्ध के बीच फंसे सीरिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो वहां वह काम कर रहे हैं जिसको कोई भी सलाम किए बिना नहीं रह सकता है। इन्‍हें 'व्‍हाइट हेलमेट' के नाम से जाना और पहचाना जाता है। इनमें कई अबू हसन जैसे इंसान हैं जिनके साथ वक्‍त ने बेहद बेरहम मजाक किया है। यह लोग हर वक्‍त मौत से दो-चार होते हुए दूसरों की मदद करते हैं। इंसानियत के रखवाले इन जांबाजों को 'दैनिक जागरण' सलाम करता है।

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विपरीत परिस्थितियों में लोगों की मदद

व्‍हाइट हेलमेट पहने इन लोगों का काम विपरीत परिस्थितियों में लोगों की मदद करना है। लोगों की मदद के लिए यह सब कुछ भूल जाते हैं। उस वक्‍त इनका अपना दर्द भी कोई मायने नहीं रखता है। व्‍हाइट हेलमेट पहने सिविल डिफेंस कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने का काम कर रहे हैं। हर हवाई हमले के बाद यह लोग उस तरफ दौड़ पड़ते हैं जहां इससे तबाही होती है। कई बार दूसरों को बचाते हुए यह लोग खुद भी मुसीबत में फंस जाते हैं। इसके बाद भी यह अपने दुखों को भुलाकर यह लोग दूसरों की मदद करने के लिए हर समय तैयार रहते हैं।

व्‍हाइट हेलमेट के जांबाज कार्यकर्ता

अपने फर्ज को अंजाम देते हुए कभी ऐसा भी होता है कि इनका ही कोई अपना इनके हाथों में दम तोड़ देता है या फिर मलबे से बिना यह जाने की कौन है इनका ही अपना निकल जाता है। यह महज कोई कहानी या संयोग नहीं है बल्कि एक ऐसी दर्द भरी सच्‍चाई है जो किसी को भी झकझोरने के लिए काफी है। अबू हसन व्‍हाइट हेलमेट पहने एक ऐसे ही जांबाज कार्यकर्ता हैं जिनके सामने एक समय ऐसा भी आया था जब उनके ही बेटे का  लहूलुहान हुआ शव मलबे से निकाला गया था। शव को देखने से पहले उन्‍हें इस बात का कोई अंदाजा भी नहीं था कि यह उनका ही बेटा है। इस वाकये को भले ही अब छह माह गुजर गए हैं लेकिन अपनों को भुलापाना इतना आसान नहीं होता है। आज भी उस मनहूस घड़ी को याद कर उनकी आंखें भर आती हैं। अबू हसन ही नहीं व्‍हाइट हेलमेट पहनने वालों में से कई ऐसे हैं जिनके साथ वक्‍त ने ऐसा भद्दा मजाक किया है।

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बमबारी ने छीना सब कुछ

पचास वर्षीय हसन पहले बढ़ई का काम करते थे। लेकिन वर्षों से चल रहे युद्ध ने यहां पर सब कुछ तबाह कर दिया। लोगों से अपनों को छीन लिया। इसके बाद इन्‍होंने लोगों को बचाने की ठानी और व्‍हाइट हेलमेट पहन लिया। उस वक्‍त को याद करते हुए आज भी अबू हसन की आंखें भर आती हैं। वह बताते हैं कि हमेशा की ही तरह अलेप्‍पो पर उस दिन भी भीषण बमबारी हुई थी। बमबारी के बीच उन्‍हें एसओएस कॉल आया और बमबारी में तबाह हुई जगहों की जानकारी दी गई। वह अपनी टीम के साथ तुरंत वहां के लिए रवाना हो गए थे। जब वह अपने साथियों के साथ बमबारी वाली जगह पर पहुंचे तो उन्‍होंने देखा कि वहां पर एक युवक का शव खून से  लथपथ मलबे के नीचे दबा है। उसके पांव पूरी तरह से चकनाचूर हो चुके थे। उसका सिर भी मलबे में दबा हुआ था। मलबे से उसके शरीर के अंदर से मांस निकलकर बाहर आ चुका था।

छलक आए आंसू

अबू ने अपने साथियों के साथ मिलकर मिलकर उसको बाहर निकालने की कोशिश की। उन्‍हें उम्‍मीद थी कि जिसे वह निकाल रहे हैं शायद उसमें कुछ जान बची हो। लेकिन जब उसके शरीर से मलबा हटाया गया और उसके चेहरे को साफ किया गया तो अबू की आंखें फटी की फटी रह गईं। कुछ समय के लिए उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। वह सब कुछ भूल गए। उनके हाथ कांप रहे थे और वह उस उसके सिर को हाथ में लिए कुछ बोल नहीं पा रहे थे। एकाएक उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। दरअसल, जिसे उन्‍होंने मलबे से निकाला था वह उनका ही बेटा था। पहले वह इस बात से बेखबर थे। उन्‍हें जरा भी अहसास नहीं था कि वक्‍त उनके साथ ऐसा घटिया मजाक करेगा। जिस बेटे को वह सुबह ठीक ठाक घर पर छोडकर आए थे वह अब उनके हाथों में मृत पड़ा था। वह उसका सिर अपने सीने से दबाए घंटो बैठे रहे। उनके सीने में इतना दर्द था कि आंखों से आंसू भी सूख गए थे।

कभी साथ मदद करता था बेटा

कभी कभी उनका बेटा भी उनके साथ लोगों की जान बचाने में मदद करता था। आज वह असहाय  पड़ा था। वह खुद को बड़ी मुश्किल से संभाल पा रहे थे। अपने पर काबू पाकर उन्‍होंने बड़ी हिम्‍मत की और उसको भारी मन से दफना दिया। इसके बाद भी उनका काम नहीं रुका। यह उनके जीवन का सबसे मुश्किल पल था। लेकिन वक्‍त से समझौता कर चुके हसन के लिए कई और जिंदगियां कीमती हैं। सीरिया में वर्षों से चल रहे युद्ध के दौरान करीब चार हजार कार्यकर्ता अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं। उनके मुताबिक कई बार हम लोगों की जान बचाने के लिए जाते हैं, लेकिन वहां खुद हमारी जान पर बन जाती है, ऐसे में लोग हमारी जान बचाने आगे आते हैं। लेकिन कई बार हमारे अपने ही हमारी आंखों के सामने दम तोड़ देते हैं और हम कुछ नहीं कर पाते हैं।

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