चीन को लगने लगा है पाकिस्तान से डर, एक नहीं कई हैं वजह
पाकिस्तान के सबसे करीबी समझे जाने वाले देश चीन को भी अब उससे डर लगने लगा है। इस डर की एक नहीं कई वजह हैं।
नई दिल्ली स्पेशल डेस्क। पाकिस्तान के सबसे करीबी समझे जाने वाले देश चीन को भी अब उससे डर लगने लगा है। इस डर की एक नहीं कई वजह हैं। इनमें से एक वजह पाकिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर है। दूसरा डर पाकिस्तान में निवेश को लेकर भी है। इन दोनों को लेकर चीन की सरकार की तरफ से न सिर्फ आशंका जताई गई है बल्कि अपने नागरिकों को एडवाइजरी तक जारी की गई है। इस एडवाइजरी में चीन ने कहा है कि उनके कार्यस्थलों को आतंकी निशाना बना सकते हैं, इसलिए वे अतिरिक्त सतर्कता बरतें। पाकिस्तान में स्थित चीनी दूतावास द्वारा जारी इस एडवाइजरी में नागरिकों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाने की भी सलाह दी गई है।
जारी की एडवाइजरी
इससे पहले चीन ने पाकिस्तान सरकार से अपने नागरिकों की मौजूदगी वाले स्थानों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कहा था। चीनी दूतावास की ओर से जारी इस एडवाइजरी पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रलय ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। गौरतलब है कि इसी वर्ष की शुरुआत में सीपैक इलाके से दो चीनी नागरिकों को अगवा कर कत्ल कर दिया गया था। उस वक्त भी चीन का डर छलक कर सामने आया था। चीन के डर की वाजिब वजह पाकिस्तान के मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद के उस बयान में भी साफतौर पर छलकती है जिसमें उन्होंने मदरसों की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाया है। मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने यहां तक कहा है कि मदरसों के जरिए तैयार हो रहे आतंकियों पर अपनी गहरी चिंता जताई है। इसके अलावा उन्होंने मदरसों को अत्याधुनिक बनाने पर भी जोर दिया है।
चीन को सबसे बड़ा दुश्मन मानता है अलकायदा
शंघाई अकादमी ऑफ सोशल साइंस के इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन के रिसर्च फैलो हू झीयोंग का मानना है कि भले ही चीन और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से दोस्ताना रिश्ते हैं लेकिन कुछ कट्टरवादी समूह और अलकायदा चीन और उसके नागरिकों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। यह अपने फायदे के लिए चीनी नागरिकों पर हमला करते हैं। इन हमलों की वजह से ही चीन को पाकिस्तान में हो रहे निवेश को लेकर भी चिंता है। हू का यह भी कहना है कि चीन हमेशा से ही अपने नागरिकों के खिलाफ होने वाली इस तरह की आतंकी गतिविधियों का कड़ा विरोध करता रहा है। हालांकि वह यह भी मानते हैं कि पाकिस्तान ने इसको रोकने के लिए कुछ कदम भी उठाए हैं जिन्हें चीन समर्थन करता है। चीन के विदेश मंत्रालय के मुताबिक पाकिस्तान ने सीपैक इलाके में चीन के निवेश और उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए करीब 15000 सैनिक तैनात किए हुए हैं।
उइगरों पर कड़े प्रतिबंध
उल्लेखनीय है कि चीन अपने शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम समुदाय की गतिविधियों को लेकर सशंकित रहता है। कुछ घटनाओं के बाद चीन सरकार ने उइगरों पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं। उइगरों के पाकिस्तानी और अफगान आतंकी संगठनों से रिश्ते बेपर्दा हो चुके हैं। ऐसे में चीन को आशंका है कि पाकिस्तान के कट्टरपंथी माहौल में आसानी से उसके नागरिकों को निशाना बनाया जा सकता है। जून में चीन के दो नागरिकों की बलूचिस्तान प्रांत में अपहरण करके हत्या कर दी गई थी। वारदात की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली थी।
निवेश पर चिंता
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि तीन लाख करोड़ रुपये की लागत वाले वन बेल्ट-वन रोड प्रोजेक्ट और कुछ अन्य परियोजनाओं पर इन दिनों हजारों चीनी नागरिक पाकिस्तान में कार्य कर रहे हैं। चीन बेल्ट-रोड परियोजना के जरिये सड़क मार्ग से पाकिस्तान होकर अरब देशों और यूरोप तक पहुंचना चाहता है। लेकिन उसे अपने नागरिकों और निवेश की चिंता भी सता रही है। चीन को अंदेशा है कि उसके निवेश वाली परियोजनाओं, कार्यस्थलों और नागरिकों पर आंतकी हमले हो सकते हैं। पाकिस्तान स्थित चीनी दूतावास ने बयान जारी कर कहा है कि आतंकी निकट भविष्य में चीनी हितों को चोट पहुंचा सकते हैं। इसके लिए आतंकी सिलसिलेवार हमलों को अंजाम दे सकते हैं।
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